फिल्म प्रमाणन के दिशा निर्देशों की समकालीन व्याख्या की आवश्‍यकता

मुबंई, 9 जनवरी(जनसमा)। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि फिल्म प्रमाणन के दिशा निर्देशों की समकालीन व्याख्या की आवश्‍यकता है। दुनिया के अधिकांश देशों में फिल्मों और वृत्तचित्रों को प्रमाणित करने के लिए एक प्रणाली है, लेकिन ऐसा करते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कलात्मक रचनात्मकता और स्‍वतंत्रता का हनन न हो।

जेटली और सूचना एवं प्रसारण राज्‍य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ आज मुंबई में हाल ही में गठित श्याम बेनेगल समिति के साथ विस्तार से बातचीत कर रहे थे। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण सचिव  सुनील अरोड़ा भी मौजूद थे। याद रहे कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 01 जनवरी 2016 को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, सीबीएफसी द्वारा फिल्मों के प्रमाणन के लिए व्यापक दिशा निर्देशों की सिफारिश के लिए श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था ।

इस अवसर पर समिति के सदस्य- मशहूर फिल्म निर्माता  राकेश ओमप्रकाश मेहरा, विज्ञापन और संचार विशेषज्ञ  पीयूष पांडे, वरिष्ठ फिल्म पत्रकार सुश्री भावना सोमैया, एनएफडीसी की प्रबंध निदेशक  नीना लाठ गुप्ता और संयुक्त सचिव, फिल्म्स, संजय मूर्ति उपस्थित थे।

राज्‍य मंत्री कर्नल राज्‍यवर्धन राठौड़ ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि श्‍याम बेनेगल की अध्‍यक्षता में विशेषज्ञों की समिति सिनेमेटोग्राफ अधिनियम के प्रावधानों की व्‍याख्‍या के लिए समग्र ढांचा प्रदान करेगी।

श्‍याम बेनेगल ने कहा कि नियंत्रण के बजाय उम्र, परिपक्‍वता, भावुकता और संवेदनशीला के मानदंडों पर फिल्‍मों की नई ग्रेडिंग प्रणाली अपनाने की आवश्‍यकता है।