राज्यसभा में मिथुन चक्रवर्ती की लंबी अनुपस्थिति पर सवाल उठा

नई दिल्ली, 26 अप्रैल | राज्यसभा में सदस्यों ने मंगलवार को फिल्म अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य मिथुन चक्रवर्ती के सदन से लगातार अनुपस्थित रहने पर सवाल उठाया। राज्यसभा के उप सभापति पी. जे. कुरियन ने चक्रवर्ती का एक आवदेन पढ़कर सुनाया जिसमें चक्रवर्ती ने स्वास्थ्य की वजह से अवकाश की मांग की है।

फाईल फोटोः मिथुन चक्रवर्ती। (आईएएनएस)

कुरियन ने उनके आवेदन को पढ़ते हुए कहा, वह स्वास्थ्य के कारणों से चालू सत्र के दौरान सदन की बैठकों में भाग लेने में असमर्थ हैं।

समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने इस पर आपत्ति की और कहा कि इसकी एक सीमा होनी चाहिए कि स्वास्थ्य के आधार पर कोई कितना अवकाश ले सकता है।

अग्रवाल ने कहा, “हर सत्र में चक्रवर्ती का एक पत्र आ जाता है कि वह सदन की कार्यवाही में भाग ले पाने में असमर्थ हैं और उन्हें छूट मिल जाती है। इसकी कोई सीमा होनी चाहिए। यदि सदस्य की तबीयत ठीक नहीं है तब यह सही है लेकिन सदस्य हर सत्र में यही करे, तो यह इस सुविधा का दुरुपयोग है।”

उन्होंने कहा, “आसन को इस पर भी व्यवस्था देनी चाहिए।”

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर राय ने मिथुन का बचाव किया। उन्होंने कहा, “वह लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। उन्होंने इस बारे में चिकित्सक की रिपोर्ट भी पेश की है। मैं सदन से आग्रह करूंगा कि चिकित्सकीय आधार पर उनकी अनुपस्थिति को लेकर विचार करे। “

जनता दल (यू) के नेता के. सी. त्यागी ने कहा कि राजनीतिक कार्यकर्ता सदन में एक सीट पाने से पहले वर्षो परिश्रम करते हैं, जेल जाते हैं और पुलिस के डंडे का सामना करते हैं।

त्यागी ने कहा, “सभी राजनीतिक दलों के लिए एक आचार संहिता होनी चाहिए कि वे वैसे ही सदस्यों को भेजें जो सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकें और हो सके तो सदन को भी लाभ मिले। यदि कोई बीमार है या सदन की कार्यवाही में भाग लेने से अधिक महत्वपूर्ण उसे कोई काम है तो उसका विस्तृत ब्यौरा सदन में आना चाहिए। अपने क्षेत्र में काम करते रहना और सदन से अनुपस्थित रहना इस सदन का अपमान है। “

उन्होंने कहा, “इसलिए एक आचार संहिता होनी चाहिए। लोग सदन में नहीं आएंगे और निजी कंपनियों के लिए विज्ञापन करेंगे, इसकी अनुमति राज्यसभा के सदस्य को नहीं दी जानी चाहिए।”

कुरियन ने कहा कि यदि कोई सदस्य कह रहा है कि वह बीमार है तो वह उस पर अविश्वास नहीं कर सकते। आसन को इसे स्वीकार करना होगा। यदि यह साबित हो जाता है कि ऐसी बात नहीं है तो हम देख सकते हैं कि हम क्या कर सकते हैं।

हालांकि, मिथुन चक्रवर्ती का आवेदन स्वीकार कर लिया गया।

यदि सदन की बैठकों से बगैर इजाजत लगातार 60 दिनों तक कोई अनुपस्थित रहे तो आसन द्वारा उस सीट को खाली घोषित किया जा सकता है।

वेबसाइट ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, उच्च सदन में चक्रवर्ती की उपस्थिति मात्र 10 फीसदी है जबकि औसत 78 फीसद है।

अब तक न तो उन्होंने किसी बहस में भाग लिया है और न ही कोई सवाल पूछा है। कोई निजी विधेयक भी नहीं पेश किया है।

वर्ष 2014 में उच्च सदन के मानसून सत्र में अभिनेत्री रेखा और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को लेकर भी ऐसे ही सवाल उठे थे।

(आईएएनएस)