लाल गलियारा अब विकास और प्रगति के हरे गलियारे में परिवर्तित : रमन

रायपुर, 21 नवम्बर (जस)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में नक्सल आतंक का लाल गलियारा अब विकास और प्रगति के हरे गलियारे में परिवर्तित होने लगा है। डॉ. रमन सिंह रविवार को नई दिल्ली में इंडिया हैबीटाट सेंटर में ‘लाल गलियारे में विकास’ विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन हिन्दी पत्रिका ’आउटलुक’ द्वारा किया गया।

मुख्यमंत्री ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस बस्तर से पहले नक्सल हिंसा और आतंक की पीड़ादायक आवाजे सुनाई देती थी अब उसी बस्तर से शिक्षा, संस्कृति, बेहतर स्वास्थ्य और रोजगार की सकारात्मक गूंज सुनाई देने लगी है।

बस्तर का युवा आज बेहतर शिक्षा संस्थान, रोजगार के लिए कौशल प्रशिक्षण तथा उच्च शिक्षा के लिए मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन की यह बयार दिनोदिन तेज होती जा रही है और वह दिन दूर नहीं जब बस्तर में शत प्रतिशत शांति होगी और विकास की राह बनेगी। उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या केवल बंदूक की गोली से नहीं, बल्कि विकास के माध्यम से ही हल होगी।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि बस्तर में आया यह परिवर्तन बस्तर के आम लोगो की लोकतंत्र , विकास और शांति के प्रति दृढ़ इच्छा के कारण ही संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि यह गांधी और कबीर का देश है यहां हिंसा थोड़े दिन के लिए तो परेशान कर सकती है लेकिन उसका अंत निश्चित है। उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या के मूल में देश के कुछ क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा से उपेक्षित रखने की दीर्घकालीन रीति-नीति थी। उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने इसका फायदा उठा कर इन क्षेत्रों में नक्सल विचारधारा का प्रसार किया। सत्ता में आने के बाद हमने सबसे पहला कदम इन उपेक्षित और मुख्यधारा से वंचित क्षेत्रों में सत्ता और प्रशासन के विकेन्द्रीकरण के रूप में उठाया तथा विकास और कल्याण के अनेक कार्यक्रम प्रारंभ कराये। इन क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली , शिक्षा , स्वास्थ्य और रोजगार प्रदान करने की अनेक योजनाओं को प्रभावी तरीके से संचालित किया।

उन्होंने कहा कि रोड-रेल-पॉवर कनेक्टिविटी के माध्यम से हम बस्तर के सभी सातों जिलों को आपस में तथा देश की मुख्यधारा से जोडने की कार्ययोजना पर काम कऱ रहे है। इसमें हम काफी हद तक सफल भी हुए है। बस्तर में हमने 500 किलोमीटर सड़क मार्ग का निर्माण कर लिया है और 500 किलोमीटर के सड़क मार्ग पर कार्य चल रहा है। इसी तरह जगदलपुर को दल्ली राजहरा- रायपुर रेल मार्ग के माध्यम से देश के मुख्य शहरों से जोड़ने का कार्य भी प्रारंभ है। बस्तर के दूरस्थ अंचल में स्थित गांवो को भी सौर उर्जा के माध्यम से प्रकाशमान किया जा रहा है। बस्तर नेट के माध्यम से पूरे बस्तर में डिजीटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने की एक बड़ी कार्ययोजना पर कार्य प्रारंभ हो गया है। एजुकेशन हब और प्रयास जैसी योजनाओं के चलते बस्तर के आदिवासी बच्चे अब आई आई टी और आई आई एम जैसी परीक्षााओं को उर्तीण करने की ओर अग्रसर हुए है।