कोरोनावायरस वैक्सीन

वर्ष 2021 के अन्त तक कोरोनावायरस वैक्सीन की दो अरब खुराकों की ज़रूरत

वर्ष 2021 के अन्त तक कोरोनावायरस वैक्सीन की दो अरब खुराकों की ज़रूरत है।  विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 एक अभूतपूर्व वैश्विक संकट है जिससे निपटने के लिये अभूतपूर्व वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार 21 सितंबर,2020 को वर्ष 2021 के अन्त तक कोरोनावायरस वैक्सीन की दो अरब खुराकें उपलब्ध कराने की योजना पेश करते हुए यह बात कही है।

दुनिया की लगभग 64 फ़ीसदी आबादी उन देशों में रहती है जो या तो कोरोनावायरस वैक्सीन की ‘Global Access Facility’ (COVAX) से जुड़ने का संकल्प ले चुके हैं या फिर इसका हिस्सा बनने के हक़दार हैं।

एक किफ़ायती और असरदार वैक्सीन की उपलब्धता सभी के लिये सुनिश्चित करने के वास्ते यह पहल शुरू की गई है जिसके ज़रिये सरकारों को वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया में जोखिम और लागत घटाना और ज़रूरतमन्द लोगों तक जल्द से जल्द वैक्सीन पहुँचाना सम्भव होगा।

Image courtesy : University of Oxford/John Cairns ऑक्सफ़र्ड युनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट और वैक्सीन ग्रुप की एक टीम वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों में जुटी है

यूएन एजेंसी के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि COVAX Facility के ज़रिये साथ काम करना कोई उपकार नहीं है बल्कि हर देश के हित में है. “हम साथ डूबेंगे या फिर तैरेंगे।”

महानिदेशक घेबरेयेसस ने अन्तरराष्ट्रीय वैक्सीन एलायन्स GAVI और महामारी की तैयारी के लिये नवाचार समाधानों पर गठबंधन (Coalition for Epidemic Preparedness Innovations/CEPI) के साथ एक प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि संकल्प सम्बन्धी समझौते तैयार कर लिये गए हैं।

इसके बाद COVAX Facility वैक्सीन निर्माताओं और विकसित करने वाली कम्पनियों के साथ अनुबन्धों पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

इस पहल का लक्ष्य सभी देशों के लिये एक समय पर वैक्सीन की सुलभता सुनिश्चित करना है और इसके लिये उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन पर जोखिम सबसे ज़्यादा है।

महानिदेशक घेबरेयेसस ने उम्मीद जताई है कि इसके ज़रिये महामारी को क़ाबू में लाने, लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने और आर्थिक पुनर्बहाली की प्रक्रिया तेज़ करने में मदद मिलेगी।

लेकिन उन्होंने आगाह किया है कि ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ से महामारी का फैलाव बढ़ेगा और दुनिया को उबरने में ज़्यादा समय लगेगा।

संकल्प की दरकार
कोविड-19 के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई के लिये यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की पहल ACT Accelerator के लिये अब तक तीन अरब डॉलर की रक़म का ही निवेश किया गया है जबकि इसके लिये 35 अरब डॉलर की आवश्यकता बताई गई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस पहल का उद्देश्य कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में कारगर औज़ार विकसित करना है जिनमें एक औज़ार असरदार वैक्सीन व प्रभावी उपचार की तलाश शामिल है।

यूएन एजेंसी के प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा गति को बनाए रखने और समयसीमा के भीतर लक्ष्य हासिल करने के लिये पाँच अरब डॉलर की रक़म की तत्काल आवश्यकता है।

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अनुमानों के मुताबिक असरदार वैक्सीन के वितरण के बाद अन्तरराष्ट्रीय यात्राओं और व्यापार की पुनर्बहाली जल्द होने में मदद मिलेगी।

इससे होने वाला आर्थिक लाभ मौजूदा लागत से कहीं ज़्यादा होगा, इसलिये इन प्रयासों में निवेश करना समझदारी होगी।