मोढेरा नृत्य महोत्सव

सूर्य मंदिर के प्रांगण में मोढेरा नृत्य महोत्सव

नीलेश शुक्ला===

नए साल की शुरुआत के साथ ही देशभर में कई उत्सवों का आयोजन किया जाता है। इन उत्सवों के माध्यम से हमारे देश की कला और संस्कृति को सजीव रखने का प्रयास किया जाता है। उत्सवों की इस फेहरिस्त में गुजरात में जनवरी महीने में मनाए जाने वाले पतंग महोत्सव, रण महोत्सव, नवरात्रि महोत्सव जैसे कई नाम विश्व विख्यात है। इसी श्रृंखला में एक नाम आता है मोढेरा नृत्य उत्सव (डांस फेस्टिवल) का जो लोगों के बीच अपनी एक अलग जगह बना चुका है। 

मोढेरा नृत्य महोत्सव कला और नृत्य के माध्यम से भारत देश की परंपराओं और विविधताओं से रूबरू करवाता है। यह हमारे देश का वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव है जहां देशभर के कलाकारों और संगीतकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है। गुजरात के पाटन ज़िले में स्थित मोढेरा के पुरातन सूर्य मंदिर में इस उत्सव का हर साल आयोजन किया जाता है। 

मोढेरा, भारत देश का पहला सौर ऊर्जा संचालित गांव है और अपने प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के लिए विश्व विख्यात है। सूर्य मंदिर में इस तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन टूरिज्म कॉरपोरेशन ऑफ गुजरात लिमिटेड (TCGL) द्वारा किया जाता है। इस साल भी 20-23 जनवरी, 2023 को इस डांस फेस्टिवल का आयोजन किया गया जहां अनगिनत कलाकारों की सुंदर प्रस्तुतियां देखने को मिली। इस नृत्य महोत्सव को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक शामिल होते हैं। 

मोढेरा नृत्य महोत्सव को उत्तरार्ध महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान सूर्य देव को समर्पित है। उत्तरार्ध महोत्सव नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि इस समय पृथ्वी उत्तर की ओर चलती है और सर्दियों के अंत तक सूर्य के करीब होने लगती है। 

मोढेरा नृत्य महोत्सव सूर्य मंदिर की ख़ूबसूरती में चार चांद लगा देता है। यह मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है जिसे लगभग 1200 वर्ष पहले सोलंकी वंश के राजा भीमदेव ने बनवाया था। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। इसकी बाहरी दीवारें मूर्तियों से ढकी हुई हैं। इसका निर्माण कुछ इस तरह से हुआ है कि सूरज की पहली किरण यहां के मुख्य प्रवेश द्वार से होती हुई सबसे पहले देवता पर पड़ती है और उसे रोशन कर देती है। ऐसा कहा जाता है कि 12 राशियों और 9 नक्षत्रों की संख्या का गुणा करके इस मंदिर में 12×9= 108 मंदिर बनाए गए।

सूर्य मंदिर के दो भाग है, गर्भगृह और नृत्यमंडप जहां कुल 52 खंभे हैं जो कि साल के 52 हफ्तों के बारे में बताते हैं। जब आप इन 52 स्तंभों को ऊपर से देखते हैं तो ये गोलाकार नज़र आएंगे लेकिन नीचे से देखने पर आपको अष्टभुजाकार स्तंभ के रूप में दिखाई देंगे। इन स्तंभों पर देवी-देवताओं के चित्र और रामायण- महाभारत के प्रसंगों को बहुत बारीकी से उकेरा गया है जिसे देखकर हर कोई हैरान हो जाता है। मन्दिर में एक विशाल कुंड है, जिसे ‘सूर्यकुंड’ या ‘रामकुंड’ के नाम से जाना जाता है जिसका पानी कभी सूखता नहीं है। 

इतिहास के मुताबिक इस भव्य मंदिर को खिलजी वंश के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने तहस-नहस कर दिया था और तभी से यहां पूजा-पाठ नहीं किया जाता। यूनेस्को ने इस अद्भुत मंदिर की संरचना को देखते हुए इसे साल 2014 में वर्ल्ड हैरिटेज की सूची में शामिल किया था। इस अद्भुत मंदिर के इतिहास को बरकरार रखने के लिए गुजरात के पर्यटन विभाग ने कई कदम उठाए और नृत्य महोत्सव उन्हीं प्रयासों में से एक है। नृत्य महोत्सव के कारण यह सूर्य मंदिर आज भी लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।