सेना के लिए वरदान साबित हुई मोदी सरकार

नई दिल्ली, 13 जनवरी I नरेंद्र मोदी सरकार भारतीय थल सेना के लिए वरदान बनकर आई है I केंद्र में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, सालों से सैन्य साजो-सामान की कमी से जूझ रही थल सेना अब आवश्यक सैन्य सामग्री की आपूर्ति में जुटी हुई हैI
फाइल फोटो: सियाचिन बेस कैंप में 23 अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, जनरल दलबीर सिंह  तथा  भारतीय सेना के अधिकारी और जवान।
थल सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने बुधवार को यहां बताया कि पिछले कई सालों के दौरान थल सेना गोला-बारूद और सैन्य साजोसामान की कमी से जूझ रही थी I सालों से न तो नयी तोपें मिल पा रही थी और न ही अन्य आवश्यक साजोसामान I लेकिन केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन होने के बाद गत डेढ़ सालों के दौरान जरुरी सैन्य सामग्री की खरीद-फरोख्त का काम तेजी के साथ शुरू हो चुका है I
नए युद्धक टैंकों के साथ ही दो सौ हेलीकाप्टर, लगभग दो लाख बुलेटप्रूफ जैकेट, नाईट विज़न उपकरण, राडार  सहित कई अन्य आवश्यक सैन्य साजोसामान की खरीद के लिए प्रकिया जारी है I इस प्रक्रिया में रक्षा उपकरणों की प्रस्तावित नयी खरीद प्रकिया की घोषणा होने के बाद और तेजी आएगी I
जनरल सिंह के मुताबिक थल सेना के साजोसामान की खरीद प्रकिया मूल रूप से तीन स्तरों पर टिकी हुई है I इसमें पहले स्तर पर नाजुक, दूसरे स्तर पर महत्वपूर्ण और तीसरे स्तर पर आवश्यक सैन्य साजोसामान को रखा जाता है I वर्तमान में नाजुक स्तर के सात और महत्वपूर्ण स्तर के 17 प्रोजेक्टों पर ध्यान दिया जा रहा है और उम्मीद है कि इन सभी प्रोजेक्टों से जुड़े सैन्य साजोसामान जल्द ही सेना को मिल जाएंगे I
जनरल सिंह ने बताया कि थल सेना सैन्य साजोसामान की खरीद के लिए मेक इन इंडिया नीति पर चल रही है और स्वदेशी उत्पादन पर ज्यादा से ज्यादा धयान दिया जा रहा है I पिछले दो साल के दौरान लगभग 73 प्रतिशत ठेके भारतीय कंपनियों को दिए गए हैं I साथ ही 55  प्रतिशत बजट भारतीय इंडस्ट्री के उत्पादों पर ही खर्च किया गया है I

अधिकृत जानकारी के अनुसार तोपखाने के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने सेना के 2,900 करोड़ रुपये मूल्य की 145 बीएई एम777 अल्ट्रा-लाइट-हॉवित्जर तोपों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह सौदा विदेशी सैन्य बिक्री के तहत हुआ है लेकिन इसमें पुर्जों, रखरखाव और गोला-बारूद भारतीय प्रणाली के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।

यह भी याद रखने की बात है कि आकाश हथियार प्रणाली को भारतीय सेना में 05 मई, 2015 को शामिल किया गया। यह भारत में ही विकसित कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली सुपरसोनिक प्रणाली है। यह विमान, हेलीकॉप्टर और यूएवी जैसे कई हवाई खतरों को 25 किलोमीटर की दूरी और 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर ही घेरने में सक्षम है।

यह प्रणाली एक साथ कई लक्ष्य साधने में सक्षम है और जमीन पर सेना की भेद्य ठिकानों को कम दूरी का मिसाइल कवर उपलब्ध कराती है। देश की यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया पहल की एक चमकदार अभिव्यक्ति है। 

भारतीय सेना के स्वदेशीकरण के प्रयासों के तहत सेना ने दस सार्वजनिक और निजी भारतीय कंपनियों को प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया पहल के तहत भविष्य के इंफैंट्री कांबेट व्हीकल(एफआईसीवी) परियोजना के लिए ईओएल जारी किया है।

एक महत्वपूर्ण मेक परियोजना सामरिक संचार प्रणाली (टीसीएस) है। इसका मकसद युद्ध के मैदान में डटी सेना को एक नेटवर्क केंद्रित वातावरण के जरिए सूचनाएं पहुंचाना है। इसके अलावा युद्धक्षेत्र प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस) भी है। यह सैन्य कमांडरों को सामरिक तौर पर स्थित की अपडेट जानकारी, भू-स्थानिक डेटा और लड़ाई के दौरान फार्मेशन स्तर पर आंतरिक सूचनाएं पहुंचाती है।

मौजूदा स्वदेशी खरीदो खरीद प्रस्ताव में अत्याधुनिक लाइट हेलीकाप्टर, मध्यम दूरी सी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली, पिनाका मल्टी बैरल राकेट प्रणाली, इंफैंट्री कांबेट वाहन बीएमपी 2/2के, एमबीटी अर्जुन टैंक, मॉड्यूलर ब्रिज प्रणाली, बालिस्टिक हैलमैट एव बुलेट प्रूफ जैकेट शामिल है।

खरीद प्रस्ताव में तोपखाने के लिए माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस), सेना की हवाई सुरक्षा में तैनात एल/70 और जेडयू-23 बंदूकों के बदले एयर डिफेंस गन, मैकेनाइज्ड बलों के लिए हल्के बख्तरबंद बहुउद्देशीय वाहन (एलएएम-वी) और टी-90 टैंकों के लिए माइन प्लग शामिल हैं।

-एजेंसी  के साथ जनसमा ब्यूरो