अस्पतालों में जच्चा-बच्चा की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए : हरीश रावत

देहरादून, 4 अक्टूबर (जस)। “एक वर्ष के भीतर मातृत्व मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर व कुपोषण में कमी लाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाए। खिलती कलियां योजना का दूसरा चरण प्रारम्भ किया जाए। ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि संस्थागत प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को 2 दिन से 4 दिन तक अस्पतालों में रोका जाए ताकि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बालिकाओं व महिलाओं को हाईजीनिक सेनेट्री नेपकिन उपलब्ध करवाए जाएं। गर्भवती महिलाओं की प्रसव के पूर्व से लेकर बच्चे के जन्म के कुछ माह तक पूरा ट्रेक रिकार्ड रखा जाए।” उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सचिवालय में सोमवार सांय महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा के दौरान उक्त निर्देश दिए।

रावत ने कहा कि गर्भवती महिलाओं की प्रसव के पूर्व से लेकर बच्चे के जन्म के कुछ माह तक पूरा ट्रेक रिकार्ड रखा जाए। गर्भवती महिलाओं को दूध उपलब्ध करवाने की कार्ययोजना जल्द से जल्द बनाई जाए। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सहायिकाओं की समस्याओं को प्राथमिकता से हल किया जाए। प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर यह जानकारी होनी चाहिए कि मंडुवा, चैलाय, काला भट आदि सप्लीमेंट में पोषक तत्वों की कितनी मात्रा है। महिलाओं में ल्युकोरिया व एनिमिया को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रारम्भ किए गए अभियान से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी जोड़ा जाए। इसका सरलतम तरीके से महिलाओं के बीच व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए।

सचिव डा. भूपिंदर कौर औलख ने बताया कि विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों को देने के लिए एक न्यूट्रीशनल पाउडर तैयार किया गया है जिसमें कि मंडुवा, काला भट, चना आदि हैं। कुपोषित बच्चों को मोनिटर करने के लिए एनआईसी से एक साॅफ्टवेयर तैयार किया गया है। अपर सचिव विम्मी सचदेवा रमन ने बताया कि रायपुर ब्लाॅक में एक पायलट प्रोजेक्ट प्रारम्भ करने की कार्ययोजना बनाई गई है जिसके तहत ब्लाॅक के पांच केंद्रों में चयनित महिला स्वयं सहायता समूह को 10 गायें उपलब्ध करवाई जाएंगी। यहां से प्रत्येक कुपोषित बच्चे को 200 मिली लीटर दूध प्रति दिन व अति कुपोषित बच्चे को 200 मिली लीटर दूध दिन में दो बार दिया जाएगा। समूह की महिलाएं घरघर जाकर इन बच्चों को अपने सामने गाय का दूध पिलवाएंगी।

बताया गया कि देहरादून में मद्रासी कालोनी व सपेरा बस्ती में 168 महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया गया था। ये सभी वर्तमान में रोजगार में संलग्न हैं। हरिद्वार, अल्मोड़ा, टिहरी व पौड़ी में भी बालिकाओं व महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण प्रारम्भ करवाया जा रहा है।

(फाइल फोटो)