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रांची में “आदि महोत्सव” का समापन समारोह सम्पन्न

आदि महोत्सव के समापन समारोह में मुख्य सचिव श्रीमती राजबाला वर्मा और रांची की मेयर

रांची के ऑड्रे हाउस में 9 जनवरी 2018 से चल रहे “आदि महोत्सव” का समापन 4 फरवरी को सम्पन्न होगया। “आदि महोत्सव” का आयोजन ट्राईफेड(भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ मर्यादित) द्वारा किया गया था। इसमें झारखण्ड के अलावा देश के 9 राज्यों असम, राजस्थान, उड़ीसा vkfn ने भी भाग लिया। दर्शकों को आदि महोत्सव में मिनी भारत की कला एवं संस्कृति की झलक मिली।

इस महोत्सव में लगभग 75 लाख रूपये का कारोबार हुआ और रांची के लोगों ने इस महोत्सव को बहुत सराहा। जयपुर में आयोजित हुए महोत्सव में लगभग 52 लाख रूपये तथा भोपाल में 62 लाख रूपये का ही कारोबार हुआ था।

आदि महोत्सव के समापन समारोह में मुख्य सचिव श्रीमती राजबाला वर्मा ने कहा कि शिल्पकार/कलाकार होना आसान नहीं है। कठिन परिस्थितियों में भी हमारी कला संस्कृति को इनहोंने ही जीवित रखा है। कलाकारों और शिल्पकारों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए तथा उनके जज्बे और हौसले से हमें सीखना चाहिए कि किस तरह कठिनाइयों के बावजूद भी उन्होंने अपनी संस्कृति और कला को जीवित रखा है।

उन्होंने कहा कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सदैव आदिवासियों के हित के लिए सोचा है और लघु कुटीर उद्योग बोर्ड का गठन किया है। यह बोर्ड आदिवासियों द्वारा वन उत्पादों को खरीदेगी तथा आदिवासी जनजाति के लोगों के आय के स्रोतों में वृद्धि करने का कार्य करेगी।

श्रीमती राजबाला वर्मा ने कहा कि राज्य में 1लाख 15 हजार सखी मंडल के माध्यम से लघु उत्पाद को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है।

कार्यक्रम में रांची की मेयर श्रीमती आशा लकड़ा ने कहा कि आदि महोत्सव द्वारा समाज और देश को जोड़ने का काम किया जा रहा है। इस तरह के महोत्सव से हमारी कला संस्कृति से जुड़े उत्पादो को एक बाजार मिल पाता है।

उन्होंने मडूआ और गोंदली के व्यंजनो का जिक्र करते हुए कहा कि जिन चीजों को हम गांव में एकदम बेकार समझते है उनकी आज शहर के बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।

समापन कार्यक्रम में महोत्सव के उत्कृष्ट स्टॉलों के प्रतिनिधियों को मुख्य सचिव तथा मेयर द्वारा सम्मानित भी किया गया।

इससे पूर्व मुख्य सचिव तथा मेयर ने आदि महोत्सव के सभी स्टॉलो का परिभ्रमण किया एवं स्टॉल के लोगों से उनके उत्पादों के विशेषताओं की जानकारी ली।

मुख्य सचिव ने कहा कि जो स्टॉल आदि महोत्सव में लगे हैं उन सभी स्टॉलों के बची हुई वस्तुओं को ट्राईफेड द्वारा खरीदा जाएगा एवं ट्राईफेड के विभिन्न सेंटरों पर उनकी बिक्री होगी।