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दिल्ली के शहरी विस्तार को देखते हुए भूमि नीति में संशोधन, 17 लाख मकान बनेंगे

केन्द्र सरकार ने दिल्ली के शहरी विस्तार को देखते हुए भूमि नीति में संशोधन किया है, इससे 17 लाख रिहायशी मकान बनेंगे।

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने  संशोधित भूमि नीति को अधिसूचित किया है। यह नीति दिल्ली के 95 गांवों में शहरी विस्तार के क्षेत्रों में लागू होगी।

इस बारे में 11 अक्टूबर, 2018 को अधिसूचना एस.ओ.5220(ई) जारी कर दी गई है।

दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अनुमान लगाया है कि इससे 17 लाख रिहायशी मकान बनेंगे जिसमें से 76 लाख लोगों के लिए पांच लाख मकान अति कमजोर वर्गों के लिए उपलब्ध होंगे।

इसका उद्देश्य जल, विद्युत तथा अन्य आधारभूत संरचनाओं की उपलब्धता के स्मार्ट पड़ोस सेक्टर तथा जोन का विकास, नियोजन और क्रियान्वयन करना है।

इस नीति का उद्देश्य निजी क्षेत्र तथा जमीन जुटाने वाले किसानों को सक्रिय बनाना और भौतिक तथा सामाजिक संरचना विकसित करना है। जमीन के मालिक या मालिकों का समूह निर्धारित तौर-तरीकों के अनुसार विकास के लिए भूखंड साझा कर सकते हैं।

इस नीति में किसी भी रकबे का भूखंड शामिल हो सकता है। लेकिन कम से कम दो हेक्टेयर भूमि साझा करनी होगी ताकि विकास के लिए भूमि का उचित लाभ सुनिश्चित हो और डेवलेपर का अस्तित्व बने।

दिल्ली विकास प्राधिकरण अब केवल सहायक की भूमिका निभाएगा और नियोजन, एकत्रीकरण और विकास का कार्य डेवलेपर कंपनियों/संगठनों (कन्सोर्टियम) द्वारा किया जाएगा।

नियोजन और आधारभूत संरचना के विकास के लिए एकीकृत सेक्टर आधारित नियोजन दृष्टिकोण अपनाना होगा। नीति के अंतर्गत सेक्टरों को विकास योग्य बनाने के लिए एक सेक्टर के अंदर विकसित करने योग्य क्षेत्र की कम से कम 70 प्रतिशत जमीन ऋण मुक्त होनी चाहिए।

संसाधनों और सेवाओं की उपलब्धता पर विचार करते हुए नीति के अंतर्गत ग्रुप हाउसिंग/आवासीय उपयोग के लिए 200 का एफएआर की अनुमति है। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अनुमान लगाया है कि इससे 17 लाख रिहायशी मकान बनेंगे जिसमें से 76 लाख लोगों के लिए पांच लाख मकान अति कमजोर वर्गों के लिए उपलब्ध होंगे।

संशोधित नीति में 60 : 40 अनुपात के आधार पर जमीन का एकरूपता के साथ वितरण होगा। कन्सोर्टियम साझा की गई 60 प्रतिशत जमीन अपने पास रखेंगे और डीडीए की ओर से 40 प्रतिशत जमीन रखेंगे।

संगठन, आवासीय, वाणिज्यिक और सार्वजनिक उपयोग के लिए 60 प्रतिशत साझा की गई जमीन का उपयोग करेंगे। शेष 40 प्रतिशत साझा की गई जमीन ऋणमुक्त रूप में आवश्यकता पड़ने पर डीडीए/सेवाप्रदाता एजेंसियों को विकास कार्य चलाने के लिए देनी होगी।

साझा की गई भूमि के संपूर्ण क्षेत्र का वाह्य विकास शुल्क किस्तों में देय होगा ताकि शहरी अवसंरचना लागत पूरी की जा सके।

इस नीति को लागू करने के लिए डीडीए में एकल खिड़की प्रणाली बनाई जा रही है।