मनीष सिसोदिया

दिल्ली के प्राइवेट स्कूल मासिक ट्यूशन फीस के अलावा कोई शुल्क नहीं ले सकते

दिल्ली के प्राइवेट स्कूल (Delhi Private schools) अभिभावकों से लाँकडाउन में मासिक ट्यूशन फीस (Monthly  tuition fee) के अतिरिक्त कोई अन्य शुल्क नहीं ले सकते हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने नई दिल्ली में 17 अप्रैल, 2020 को साफ-साफ कहा है कि सभी प्राइवेट स्कूलों को आदेश दिया गया है कि वे सरकार से बिना अनुमति लिए फीस (Fee) नहीं बढ़ा सकते हैं।
सरकार ने जो आदेश दिया है उसके अनुसार निम्न बातें स्कूलों को माननी होंगी :
  • स्कूल तीन-तीन महीने की फीस एक साथ वसूलने की बजाय, अब सिर्फ महीनावार ट्यूशन फीस ही वसूल सकेंगे।
  • प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा ट्रांसपोर्टेशन व वार्षिक या अन्य शुल्क भी नहीं वसूल सकते हैं।
  • कोई भी स्कूल फीस नहीं जमा करने पर किसी छात्र को ऑनलाइन क्लास देने की सुविधा से वंचित नहीं कर सकता है।
  • सभी टीचिंग व नाॅन-टीचिंग स्टाॅफ को समय पर सैलरी दी जाए।
  • पैसे की कमी होने पर स्कूल अपने पैतृक संस्था से मदद  लें ।
शिक्षामंत्री ने कहा कि सरकार के आदेशों का पालन नहीं करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ दिल्ली स्कूल ऑफ एजुकेशन एक्ट और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
स्क्रीन फोटो शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्राइवेट स्कूल कोई कंपनी नहीं, बल्कि ट्रस्ट चलाती है, जो नाॅन-प्राफिटेबल है।
मनीष सिसोदिया ने डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना की वजह से मुख्य रूप से आर्थिक और शिक्षा के सेक्टर ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
आर्थिक स्तर पर भी बहुत सारे काम हो रहे हैं। शिक्षा के मामले में दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं।
उसमें ऑन फोन और ऑनलाइन समेत और भी कई माध्यम से कक्षाएं ली जा रही हैं। साथ ही और कई कदम उठाने की तैयारी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्राइवेट स्कूल दिल्ली समेत पूरे भारत में कंपनियों द्वारा नहीं संचालित किए जाते हैं, बल्कि वह ट्रस्ट/संस्थाओं द्वारा संचालित किए जाते हैं।
इस कानून में यह माना गया है कि प्राइवेट स्कूल जो लोग चलाएंगे या जो संस्थाएं चलाएंगी, वह लाभकारी संस्थाएं नहीं होंगी, बल्कि वह चैरिटेबल संस्थाएं होंगी, वह ट्रस्ट होंगी। ऐसे में दिल्ली सरकार को कई जगह से शिकायत मिल रही हैं कि कुछ स्कूल बढ़ा-चढ़ा कर ट्यूशन फीस  (tuition fee) मांग रहे हैं।
सरकार के पास प्राइवेट स्कूलों के बारे में जो शिकायतें आई हैं वे निम्न प्रकार हैं :
  • सरकार से अनुमति लिए बिना बहुत से स्कूलों ने ट्यूशन फीस  (tuition fee) बढ़ा दी है।
  • कई सारे स्कूल ट्यूशन फीस  (tuition fee) के अलावा और भी कई सारे चार्ज कर रहे हैं।
  • वार्षिक और ट्रांसपोर्टेशन फीस ले रहे हैं, जबकि इस दौरान ट्रांसपोर्टेशन पर कोई खर्चा नहीं हो रहा है।
  • कई स्कूल पूरे-पूरे क्वार्टर की ट्यूशन फीस  (tuition fee) मांग रहे हैं।
  • कई स्कूलों के बारे में शिकायत मिली है कि किसी छात्र ने ट्यूशन फीस  (tuition fee) नहीं दी है, तो उसकी ऑनलाइन क्लासेज बंद करा दी है।
उन्होंने स्कूलों को इतना नीचे नहीं गिरने की अपील की है। सभी स्कूल एक ट्रस्ट/संस्था के जरिए चलते हैं और उसमें उनका मूल उद्देश्य है कि वे समाज सेवा करेंगे। ऐसे में किसी बच्चों को फीस न देने की वजह से उसका नाम ऑन लाइन क्लासेज से हटा देना, यह ठीक नहीं है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन सभी शिकायतों का अध्ययन करने के बाद सरकार ने कुछ फैसला लिया है और एक आदेश जारी किया है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आदेश पर यह फैसला लिया गया है कि किसी भी प्राइवेट स्कूल को चाहे वह सरकारी जमीन पर चल रहा हो या निजी जमीन पर चल रहा हो, उसको ट्यूशन फीस  (tuition fee) बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
सरकार के आदेश इसप्रकार हैं :
  • सरकार से पूछे बिना कोई भी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता है।
  • कोई भी स्कूल तीन महीने की फीस नहीं मांगेगा।
  • स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस की मांग करेगा। वह भी महीनावार लेंगे।
  • कोई भी स्कूल अभिभावकों से तीन-तीन महीने का फीस नहीं वसूलेगा।
  • इसके साथ स्कूलों की तरफ से जो आॅनलाइन शिक्षा बच्चों को दी जा रही है, वह सभी बच्चों को देनी होगी।
  • अगर कोई अभिभावक फीस नहीं दे पा रहा है, तो उनके बच्चों का नाम आॅनलाइन टीचिंग से नहीं हटाया जाएगा।
  • उनकी आॅनलाइन सुविधाएं नहीं बंद की जाएंगी।
  • कोई भी स्कूल इस दौरान ट्रांसपोर्टेशन फीस नहीं वसूलेगा।