देवती को खेतों में जेड प्लस सुरक्षा

दंतेवाड़ा, 15 दिसंबर । छतीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला बस्तर के अंदरूनी गांव फरसपाल में जेड प्लस सुरक्षा के बीच साधारण वेशभूषा में एक महिला धान मिंजाई में तल्लीनता से जुटी रहती है। यह कोई आम महिला नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे दिवंगत ‘बस्तर टाइगर’ महेंद्र कर्मा की पत्नी और दंतेवाड़ा से कांग्रेस विधायक देवती कर्मा हैं।

हमारे संवाददाता जब फरसपाल पहुंचे, तब देवती कर्मा क्रशर मशीन से धान की मिंजाई कर रही थीं। कुछ मजदूर भी उनके साथ काम कर रहे थे, पर वह उनके काम से असंतुष्ट दिखीं और फिर खुद मिंजाई में जुट गईं। इस बीच वह मजदूरों को सिखा रही थीं कि किस तरह काम करना है। यह ²श्य साफ तौर पर उनके अनुभव की गवाही दे रहा था। इसके बाद धान को बांस से बनी टोकरियों में उठाकर अन्य महिलाओं के साथ घर में बने भंडारण कक्ष में रखने का काम भी उन्होंने किया।

अपना काम निपटाकर संवाददाता से मुखाबित होते हुए विधायक देवती कर्मा ने बताया कि करीब 45 साल पहले उनका महेंद्र कर्मा से विवाह हुआ था। आदिवासी परिवार से होने के कारण गांव में उनका बचपन घर पर ऐसे ही काम करते हुए बीता। वह फुलनार की रहने वाली हैं। कम उम्र में ही पिता की मौत हो जाने से उन पर ही घर की जिम्मेदारी आ गई थी।

शादी के बाद पति राजनीति में व्यस्त रहते थे। बच्चे छोटे थे, ऐसे वक्त में वही घर में खेती-बाड़ी के साथ घर की बागडोर संभाले हुए थीं। झीरम घाटी हमले में पति के इस दुनिया से रुखसत होने के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को भी वह संभाल रही हैं। उन पर घर की जिम्मेदारियां भी हैं।

आदिवासी संस्कृति में बाजार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यहां मोहब्बत और शादी के कई किस्से हैं। छत्तीसगढ़ में विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष रहे महेंद्र कर्मा और उनकी पत्नी देवती कर्मा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। यह उन दिनों की बात है, जब महेंद्र कर्मा गांव के साधारण युवक थे।

गांव के बाजार में उन्होंने अपना दिल देवती को दे दिया। देवती को भी पढ़े-लिखे कर्मा बहुत भा गए और फिर दोनों ने विवाह कर लिया। परिवार वालों ने भी इस विवाह को स्वीकृति दे दी। हालांकि बाद में कर्मा ने मोलसनार में दूसरा विवाह भी किया, पर देवती ही हमेशा उनके दिल में बसी रहीं।

महेंद्र कर्मा की गिनती प्रदेश के दबंग नेताओं में होती रही है और देवती कर्मा को भी अपने पति से यह गुण विरासत में मिला है। कर्मा ताउम्र नक्सलवाद के खिलाफ लड़ते रहे। उन्होंने सलवा जुडूम जैसे आंदोलन की अगुवाई भी की। तीन साल पहले झीरम घाटी में कांग्रेस के काफिले पर हुए नक्सलियों के हमले में उनका निधन हो गया।

छत्तीसगढ़ बनने के बाद महेंद्र कर्मा मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार रहे। उनके निधन के बाद देवती कर्मा विधायक बनीं। एक छोटे से गांव की यह साधारण महिला अब छत्तीसगढ़ विधानसभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं।

विगत वर्षो में विधानसभा में विपक्षी नेता के तौर पर वह रमन सिंह सरकार पर तीखे सवाल दागती रही हैं और कहीं से भी यह अहसास नहीं होने देतीं कि वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं।     –आईएएनएस/वीएनएस