कभी सूखे की समस्याओं से जूझने वाला गुजरात, अब नहीं है किसी पर निर्भर

अहमदाबाद, 20 मई (जनसमा)। लगभग डेढ़ दशक पूर्व गुजरात सूखे की समस्या से पीडि़त था। वहां एक भी नदी ऐसी नहीं थी जिसमें साल भर पानी रहता हो। गुजरात में सिंचाई व पीने का पानी बड़ा संकट था। वहीं, भूमिगत पानी का स्तर भी दिन-ब-दिन गिरता जा रहा था।

2001 के बाद गुजरात की तत्कालीन नरेन्द्र मोदी सरकार ने घरेलू, कृषि, औद्योगिक, संस्थागत, पशुपालन और अन्य सभी प्रकार के उपयोगों के लिए सुरक्षित पानी उपलब्ध कराने के लिए कई कारगर कदम उठाए। पीने के पानी के लिए गुजरात सरकार ने भूमिगत जल के अलावा एक मजबूत जल अवसंरचना के रूप में वाइड ड्रिंकिंग वॉटर सप्लाई ग्रिड यानी ‘विस्तृत पेयजल आपूर्ति ग्रिड’ की शुरूआत की।

इस ग्रिड में ‘बल्क वॉटर पाइपलाइन’ की लम्बाई 3 हजार 250 किमी होगी जिसमें से 2 हजार 670 किमी पाइपलाइन का निर्माण किया जा चुका है। इन पाइपलाइनों की चौड़ाई इतनी है कि इसमें से एक कार आसानी से चल सकती है।

यह ग्रिड राज्य के लगभग 12 हजार गांवों और लगभग 200 शहरों के 44 मिलियन लोगों की पानी की जरूरतों को पूरा करेगी। इस ग्रिड का व्यापक वितरण नेटवर्क 1 लाख 20 हजार 769 किमी है।

इस ग्रिड में 23 हजार जलाशयों की भंडारण क्षमता है और 183 जल उपचार संयंत्र हैं जिसकी प्रतिदिन 3 हजार मिलियन लीटर से अधिक की क्षमता है। वर्तमान में इस ग्रिड से रोजाना ढाई हजार मिलियन लीटर फि़ल्टर्ड पानी की आपूर्ति की जा रही है।

नर्मदा नदी के अलावा इस ग्रिड को रणनीतिक बिंदुओं पर स्थानीय बांधों से भी पूरक के तौर पर पानी की आपूर्ति की जाती है।

सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए गुजरात सरकार की ‘सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई योजना’ यानी सौनी योजना गुजरात के लिए एक ‘जल क्रांति’ कही जा सकती है। यह परियोजना गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सितंबर 2012 में शुरू की गई थी। उनका मानना था कि सौराष्ट्र में पानी की कमी को पूरा करने के लिए इस योजना को बहु-उद्देश्यीय परियोजना के रूप में विकसित किया जा सकता है।

गुजरात सरकार ने नर्मदा नदी का 1 एमएएफटी यानी 43 हजार 500 मिलियन क्यूबिक फीट अतिरिक्त पानी सौराष्ट्र क्षेत्र के लिए जारी किया है। सौनी परियोजना पूरी होने के बाद इस क्षेत्र में सभी जलाशयों को जोड़ दिया जाएगा जिससे लगभग 10 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई की जरूरतें पूरी हो जाएंगी।

इसके अलावा गुजरात सरकार ने 2015 में राजकोट जिले के 156 गांवों और 5 शहरों के लिए एक अलग पाइपलाइन की शुरूआत की। बोटाद जिले के बारवाला तालुका में 450 एमएलडी पम्पिंग क्षमता वाले स्टेशन की स्थापना की गई। साथ ही नवादा से बोटाद के बीच 450 एमएलडी की क्षमता वाली दो समानांतर पाइपलाइनों का निर्माण भी किया गया। इसे नर्मदा वॉटर सप्लाई ग्रिड से जोड़ने के लिए 257 किमी लंबी एमएस पाइपलाइन का विस्तार किया गया जिससे बोटाद के लगभग 12 सौ गांव तथा भावनगर, राजकोट, अमरेली, जूनागढ़ और पोरबंदर जिलों के 22 शहरों में पीने का पानी उपलब्ध हो सके।

2015 में ही गुजरात सरकार ने नर्मदा-जल आधारित ‘डी’ नेटवर्क परियोजना के लिए 600 करोड़ रुपए का आवंटन भी किया था। इसके तहत नर्मदा परियोजना में नावड़ा पम्पिंग स्टेशन की क्षमता बढ़ा दी जाएगी और 174 किमी लंबी पाइपलाइन के जरिए एक 120 एमएलडी अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराया जाएगा, जो बोटाद से गड्ढा और चावंड से उपलेटा के बीच होगी। इससे राजकोट जिले के लगभग 150 गांवों और 5 शहरों को 100 एमएलडी पानी तथा जूनागढ़ के लिए 20 एमएलडी पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।