जलियांवाला बाग नरसंहार याद दिलाता है कि आजादी कितनी मूल्‍यवान है

Shaheed Udham Singh

जलियांवाला बाग Jalianwala Bagh नरसंहार हम में से हर एक को यह याद दिलाता है कि हमारी आजादी कितनी कठिन और मूल्‍यवान है।

उपराष्ट्रपति, एम. वेंकैया नायडू ने 13 अप्रैल को अमृतसर में जलियांवाला बाग Jalianwala Bagh नरसंहार की 100वीं वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह पीड़ा व्यक्त की।

भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए  श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था।

उन्होंने जलियांवाला बाग Jalianwala Bagh नरसंहार की 100वीं वर्षगांठ पर एक स्मारक सिक्का और एक डाक टिकट जारी किया।

नायडू ने ट्वीट करते हुए कहा कि  उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग में  यह दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना 1919 में बैसाखी के ही दिन की गई औपनिवेशिक क्रूरता और विवेकहीन क्रोध को दर्शाती है, जिसके लिए यह दिन इस हत्‍याकांड में शहीद हुए प्रत्‍येक निर्दोष भारतीय के लिए मौन अश्रु बहाने का एक मार्मिक क्षण हैं।

उपराष्ट्रपति ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि इस जलियांवाला बाग Jalianwala Bagh में अमानवीय नरसंहार को भले ही 100 वर्ष व्‍यतीत हो गए हों लेकिन इसकी पीड़ा और वेदना आज भी हर भारतीय के हृदय में व्याप्त है।

यह हमें यह भी दर्शाता है कि बुराई की शक्ति क्षणिक होती है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि यह दिन हमें अदम्य मानवीय भावनाओं की याद दिलाता है जो गोलियों के रोष को शांत करते हुए अंततः स्वतंत्रता और शांति के ध्वज को ऊंचा बनाए रखता है।

उन्‍होंने कहा कि प्रत्‍येक भारतीय को यह याद रखना चाहिए कि हमारी जीत कितनी कठिन और मूल्‍यवान है।

उन्होंने कहा कि 1919 में आज ही बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग Jalianwala Bagh में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले प्रत्येक निर्दोष भारतीय के लिए एक मौन आंसू बहाने का दिन है।

उन्होंने कहा कि यह दिवस वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्श के प्रति भारत की सदियों पुरानी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का भी दिन है।

उपराष्ट्रपति ने अमृतसर के जलियांवाला बाग Jalianwala Bagh में लगाई गई एक फोटो प्रदर्शनी का भी दौरा किया। प्रदर्शनी में जलियांवाला बाग की घटना को समर्पित 45 पैनलों के माध्‍यम से उस समय के समाचार पत्रों के अंश, महात्मा गांधी के पत्र, रवीन्द्र नाथ टैगोर और अन्य प्रमुख नेताओं को दर्शाया गया है।

इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनोर, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव, अरुण गोयल और केंद्र एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।