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दान-पुण्य, मनोरंजन और प्रकृति पूजा का पर्व है मकर संक्रति

दान-पुण्य, उल्लास, खेलकूद, मनोरंजन, पवित्र स्नान और प्रकृति पूजा का पर्व है मकर संक्रति। देश भर में रविवार को मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम, आस्था और समर्पण के पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। यह त्यौहार प्रकृति और अन्न देव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व भी है। दूसरी ओर यह त्योहार शीतकाल के समापन उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है ।

इस दिन गंगा सागर में स्नान करना बहुत पवित्र माना जाता हे। नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और देश के विभिन्न हिस्सों से करीब 20 लाख श्रद्धालु हुगली नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर गंगा सागर में पवित्र डुबकी लगाने आते हैं।

हर साल 14 जनवरी को होने वाला यह त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों के साथ जाना जाता है। यह तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, असम में भोगली बिहू, पश्चिम बंगाल में पौश संक्रांति और अनेक राज्यों में पवित्र नदियों में स्नान और दानपुण्य करके भी मनाया जाता है।

राजस्थान में इस दिन अनेक परिवारों में छिलके वाली मूंग की दाल की खिचड़ी बनाई जाती है। कुछ इलाकों में लोग खिचड़ी, तिल के लड्डू, कुमकुम, सिन्दूर और वस्त्र आदि का दान करते हैं। तिल और मूली दान करने की भी परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि तिल और मूली दान करने से शनि देव और राहू प्रसन्न होते हे। देश के कई राज्यों में गरीबों और बेसहारा लोगों को भोजन कराने और अन्न दान की परंपरा है।

मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के संगम के तट पर स्नान  करना शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन देश के अनेक भागों से श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं।

यह दिन मनोरंजन का उत्सव भी है। असम में पारंपरिक खेल खेले जाते हैं तो राजस्थान के कुछ भागों में गिल्ली-डण्डा और गेंद खेलने की भी परंपरा हे। जयपुर में भी कई सौ सालों से इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। गुजरात में पतंगे उट़ाकर मनोरंजन करते हैं। तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है जहां लोग सूरज देवता और मवेशियों की पूजा करते हैं। पोंगल के दौरान पकाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण स्वादिष्ट भोजन मीठा चावल है।

पश्चिम बंगाल में, पूश संक्रांति पर लोग सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद पूजा करते हैं। इस अवसर पर पारंपरिक बंगाली मिठाई और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं।

हिमाचल प्रदेश में मकर संक्रांति पर कुल्लू जिले में हजारों भक्त शिमला और मणिकण के पास तातापानी और वाशिष्ठ में पवित्र डुबकी लगाते हैं।