Narasimha Rao

भारत के 9वें प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को मोदी ने दी श्रद्धाँजलि

नई दिल्ली, 28  जून। सोलह से अधिक भारतीय और विदेशी भाषाओं के जानकार  भारत के 9 वें प्रधानमंत्री पामुलपर्ती वेंकट नरसिम्हा राव (Pamulaparthi Venkata Narasimha Rao) का आज से जन्म शताब्दी वर्ष शुरू हो रहा है।

वे 1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे और भारतीय अर्थव्यवस्था को नया आयाम दिया।

पी वी नरसिम्हा राव (P V Narasimha Rao) का जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश के एक गाँव लकनेपल्ली में 28 जून, 1921 को हुआ था। उनका देहांत 23 दिसंबर 2004 को नई दिल्ली में हुआ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में नरसिम्हा  राव (P V Narasimha Rao) को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि नरसिम्हा राव जी के जन्म-शताब्दी वर्ष में, आप सभी लोग, उनके जीवन और विचारों के बारे में, ज्यादा-से-ज्यादा जानने का प्रयास करें |

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज 28 जून को भारत अपने एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया |

पी वी नरसिम्हा राव टीवी इमेज

उन्होंने कहा “जब, हम, पी.वी नरसिम्हा राव (P V Narasimha Rao) जी के बारे में बात करते हैं, तो, स्वाभाविक रूप से राजनेता के रूप में उनकी छवि हमारे सामने उभरती है, लेकिन, यह भी सच्चाई है कि वे अनेक भाषाओँ को जानते थे | भारतीय एवं विदेशी भाषाएँ बोल लेते थे | वे एक ओर भारतीय मूल्यों में रचे-बसे थे, तो दूसरी ओर, उन्हें पाश्चात्य साहित्य और विज्ञान का भी ज्ञान था |

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे | लेकिन, उनके जीवन का एक और पहलू भी है, और वो उल्लेखनीय है, हमें जानना भी चाहिए| साथियो, नरसिम्हा राव जी अपनी किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे |

“हैदराबाद के निजाम ने वन्देमातरम् गाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, तब निजाम के ख़िलाफ़ आंदोलन में उन्होंने  सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था, उस समय, उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी |

मोदी ने कहा कि छोटी उम्र से ही श्रीमान नरसिम्हा राव (Narasimha Rao) अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज उठाने में आगे थे | अपनी आवाज बुलंद करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ते थे | नरसिम्हा राव जी इतिहास को भी बहुत अच्छी तरह समझते थे | बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से उठकर उनका आगे बढ़ना, शिक्षा पर उनका जोर, सीखने की उनकी प्रवृत्ति, और, इन सबके साथ, उनकी, नेतृत्व क्षमता – सब कुछ स्मरणीय है |