Morarji Bhai Desai photo AIR

देसाई ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के खिलाफ आन्दोलन में खुद को झोंका

मोरारजी भाई देसाई ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के खिलाफ आन्दोलन में खुद को झोंक दिया। इसके लिए उन्हें वृद्धावस्था में भी भारी कीमत चुकानी पड़ी।

यह बात कही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ की 53वीं कड़ी में जो 24 फरवरी, 2019 को प्रसारित की गई।

उन्होंने कहा ” हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी भाई देसाई का जन्म 29 फरवरी को हुआ था। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह दिन 4 वर्ष में एक बार ही आता है। सहज, शांतिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी, मोरारजी भाई देश के सबसे अनुशासित नेताओं में से थे।

स्वतंत्र भारत में संसद में सबसे अधिक बजट पेश करने का record मोरारजी भाई देसाई के ही नाम है। मोरारजी देसाई ने उस कठिन समय में भारत का कुशल नेतृत्व किया, जब देश के लोकतान्त्रिक ताने-बाने को खतरा था। इसके लिए हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी उनकी आभारी रहेंगी।

मोरारजी भाई देसाई ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के खिलाफ आन्दोलन में खुद को झोंक दिया। इसके लिए उन्हें वृद्धावस्था में भी भारी कीमत चुकानी पड़ी। उस समय की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। लेकिन 1977 में जब जनता पार्टी चुनाव जीती तो वे देश के प्रधानमंत्री बने।

उनके कार्यकाल के दौरान ही 44वाँ संविधान संशोधन लाया गया। यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि emergency के दौरान जो 42वाँ संशोधन लाया गया था, जिसमें सुप्रीमकोर्टकी शक्तियों को कम करने और दूसरे ऐसे प्रावधान थे, जो हमारे लोकतान्त्रिक मूल्यों का हनन करते थे – उनको वापिस किया गया।

जैसे 44वें संशोधन के जरिये संसद और विधानसभाओं की कार्यवाही का समाचार पत्रों में प्रकाशन का प्रावधान किया गया। इसी के तहत, सुप्रीमकोर्ट की कुछ शक्तियों को बहाल किया गया। इसी संशोधन में यह भी प्रावधान किया गया कि संविधान के अनुछेद 20 और 21 के तहत मिले मौलिक-अधिकारों का आपातकाल के दौरान भी हनन नहीं किया जा सकता है।

पहली बार ऐसी व्यवस्था की गई कि मंत्रिमंडल की लिखित अनुशंसा पर ही राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा करेंगे, साथ ही यह भी तय किया गया कि आपातकाल की अवधि को एक बार में छः महीने से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है।

इस तरह से मोरारजी भाई ने यह सुनिश्चित किया कि आपातकाल लागू कर, 1975 में जिस प्रकार लोकतंत्र की हत्या की गई थी, वह भविष्य में फिर दोहराया ना जा सके। भारतीय लोकतंत्र के महात्म्य को बनाए रखने में उनके अमूल्य योगदान को, आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा याद रखेंगी।एक बार फिर ऐसे महान नेता को मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।”