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राजस्थान में वीवीपैट और ईवीएम एम-3 मशीनों के जरिए मतदान

राजस्थान में पहली बार विधानसभा आम चुनाव-2018,  52 हजार से ज्यादा मतदान केंद्रों पर वीवीपैट और ईवीएम एम-3 मशीनों के जरिए मतदान करवाया जाएगा।
राज्य में होने वाले चुनाव के लिए आयोग से 2 लाख ईवीएम और वीवीपैट मशीनें मंगवाई जा रही हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी अश्विनी भगत ने कहा कि  नई तकनीक से मतदान सुगम, सहज होने के साथ और अधिक पारदर्शी व निष्पक्षता के साथ सम्पन्न कराया जा सकेेगा।
भगत शुक्रवार को शासन सचिवालय परिसर, जयपुर में आयोजित ईवीएम और वीवीपैट की प्रथम स्तरीय जांच के संबंध में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
Election workshop

ईवीएम और वीवीपैट की प्रथम स्तरीय जांच के संबंध में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला

कार्यशाला में हाल ही कर्नाटक में चुनाव सम्पन्न कराकर आए उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचन आयोग के मास्टर ट्रेनर राघवेंद्र ने एम-3 ईवीएम और वीवीपैट के बारे में सभी अधिकारियों को विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने अपने पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के जरिए मशीनों के रखरखाव से लेकर मोकपॉल, डेटा अपडेट, सिंबल लोडिंग, रियल टाइम क्लॉक, रैंडमाइजेशन यहां तक कि मशीन की तकनीकी जानकारियों से भी रूबरू करवाया।
उन्होंने कहा कि अधिकारी एफएलसी के दौरान राजनैतिक दलों की मौजूदगी सुनिश्चित करें ताकि किसी भी प्रकार की श्ांका पैदा ना होने पाए।
भारत निर्वाचन आयोग के मधुसूदन गुप्ता ने सभी अधिकारियों को आश्वस्त किया कि ईवीएम मशीनें किसी भी नेटवर्क या वायरलैस उपकरणों से जुड़ी नहीं होती, इसलिए इनमें हेराफेरी या हैकिंग किसी भी तरह संभव नहीं है।
 बीईएल (भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड) बैंगलौर के  इंजीनियर नागराज जी. ने एफएलसी के बारे में तकनीकी पक्ष रखते हुए अधिकारियों को ‘क्या करें-क्या ना करें‘ की विशेष चेकलिस्ट को भी साझा किया।
इस अवसर पर ईवीएम के जानकार  सुरेन्द्र जैन ने एफएलसी पर विस्तृत पीपीटी के जरिए प्रस्तुतिकरण भी दिया।
कार्यशाला में सभी कलेक्टरों ने अलग-अलग समूह बनाकर इंजीनियरों, विशेषज्ञों और भारत निर्वाचन आयोग के उच्चाधिकारियों से एफएलसी से जुड़ी बारीक से बारीक जानकारियों को समझा।
इस दौरान भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सभी कलेक्टरों को ‘एफएलसी में कोई शंका नहीं‘ संबंधित प्रमाण पत्र भी जारी किए गए।