Potato

दक्षिण अमेरिका में 8 हजार साल पहले जन्मा आलू हिमाचल के किसानों की रोजी

दक्षिण अमेरिका की पहाडि़यों पर 8 हजार साल पहले जन्मा आलू अब हिमाचल के किसानों की रोटी-रोजी है।

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का जलवायु आलू  की खेती करने के लिए अनुकूल है और राज्य के किसान लगभग 150 वर्षों से इसकी खेती कर रहे हैं।

चीन के बाद भारत आलू (Potato) उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है जिसमें  शिमला  स्थित केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (Central Potato Research Institute or CPRI ) के शोध कार्य व आधुनिक तकनीकों के विकास की प्रमुख भूमिका है।

लगभग सात दशकों की यात्रा के दौरान सीपीआरआई (CPRI) ने आलू अनुसंधान के क्षेत्र में देश को महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

आधुनिक तकनीक और अनुसंधान के कारण अब देश के अन्य भागों में भी आलू भारी मात्रा में उगाया जा रहा है, जिसका अधिकतम श्रेय सीपीआरआई को जाता है।

केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला (Shimla) के अनुसार भारत आलू  की जन्म स्थली नहीं है।

आलू का उदगम आज से लगभग 8000 वर्ष पूर्व टीकाकाका झील के निकट बोलीविया व पेरू की सीमा के मध्य दक्षिण अमेरिका की पहाडि़यों पर हुआ।

एण्डीज से और बाद में इनकास में यह पापा (PAPA) के नाम से विख्यात था।

सोलहवीं शताब्दी में स्पेन के नाविक इसे यूरोप लाए और 18वीं शताब्दी तक यह यूरोपीय भोजन का प्रधान स्रोत बन गया।

भारत में आलू आलू सम्भवतः पुतर्गाल के व्यापारी 17वीं शताब्दी के आरम्भ में लाए होंगे।

हिमाचल राज्य में लगभग 14 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में आलू आलू की खेती (Farming)  की जा रही है और आलू का कुल उत्पादन लगभग दो लाख टन है।

हिमाचली आलू अपनी गुणवत्ता के लिए देशभर में प्रसिद्ध है तथा इससे किसानों की आर्थिकी निरंतर सुदृढ़ हो रही है।

आलू उत्पादन को किसानों की आय का मुख्य साधन बनाने पर कार्य होना चाहिए, जिसमें विज्ञानी अपने शोध कार्य से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इससे भारत आलू उत्पादन में चीन से आगे बढ़ने में सफल हो सकता है।