Scott Sindelar

सोया बिजनेस भारत का सबसे तेजी से फलता-फूलता कारोबार

नई दिल्ली, 27 सितंबर (जनसमा)। सोया प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसओपीए) के निदेशक डी. एन. पाठक ने कहा कि सोया बिजनेस भारत का सबसे तेजी से फलता-फूलता कारोबार है, जिसकी सालाना वृद्धि दर 8 से 10 फीसदी है।

पाठक ने दलील दी कि सरकार को इस मुद्दे पर उचित नीति बनाकर सोया के खाद्य उत्पादों को स्कूलों के पोषाहार और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में शामिल करना चाहिए। ड्यूपाइंट न्यूट्रीशन के इंद्रानिल चटर्जी ने सोया प्रोटीन से तैयार प्रचुर मात्रा में प्रोटीन युक्त खाद्य और पेय पदार्थों के संबंध में प्रेजेंटेशन दिया।

पाठक “सोयाबीन: विकल्प एवं अवसर” विषय पर  सोमवार को आयोजित कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे।  इसका आयोजन यूएस सोयाबीन एक्सपोर्ट काउंसिल (यूएसएसईसी) की ओर से किया गया था। इसमें उद्योगों, सरकार, शिक्षा विभाग, कृषि, नीति विशेषज्ञों, यूएस डिपाटर्मेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन आदि भी शामिल रहे।

 Photo : Mr Scott Sindelar the Minister Counselor of Agriculture Affairs at the American Embassy New Delhi

हाल में सोया संबंधी खाद्य उत्पादों का प्रसंस्करण लघु, मध्यम और दीर्घ पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन करने का बेहतरीन स्रोत बन कर उभरा है। भारत दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक देश है, पर इसके पोषक तत्वों के संबंध में जागरूकता की कमी और उचित प्रसंस्करण तकनीक के अभाव में यह उत्पाद अब तक भारतीय आहार में उतनी तेजी से स्वीकार नहीं किया जा सका है। हालांकि सोया फूड प्रोसेसिंग का क्षेत्र 10 फीसदी सालाना की दर से प्रगति कर रहा है, पर देश में प्रोटीन की कमी के पूरा करने के लिए इसे तेजी से भारतीय आहार में शामिल करने पर जोर देना चाहिए।

यूएसएसईसी में सोया फूड प्रोग्राम के हेड डॉ. रतन शर्मा ने भारत में पोषण की सुरक्षा और स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में सोया की ओर से निभाई जाने वाली भूमिका के बारे में कहा कि सोयाबीन कुछ पौधों में से एक है, जो कम वसा के साथ उच्च क्वालिटी का प्रोटीन भी लोगों को मुहैया कराता है। सोयाबीन लोगों को बेहतर महसूस करने में मदद करता है, जिससे वे लंबे समय तक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं। सोयाबीन में सभी 3 माइक्रो न्यूट्रिएंट होते हैं।

इसके साथ ही इसमें फाइबर, विटामिन और मिनरल भी होते हैं। सोयाबीन से प्राप्त प्रोटीन मनुष्य की सेहत के लिए जरूरी अमीनो एसिड मुहैया कराता है। 250 ग्राम सोयाबीन में 3 लीटर दूध, 1 किलो मांस या 24 अंडों के बराबर प्रोटीन होता है।

पोषक तत्वों का सबसे समृद्ध स्रोत होने के अलावा सोयाबीन में फाइटोकैमिकल (आइसोफ्लेवोन्स) भी शामिल होते हैं, जिससे स्वास्थ्य को कई लाभ होते हैं। सोया प्रोटीन और आइसोफ्लेवोन्स एक साथ मिलने से सेहत को अनगिनत फायदे होते हैं। यह कैंसर की रोकथाम, कोलेस्ट्रोल कम करने, दिल को स्वस्थ रखने, जोड़ों की बीमारियों और मासिक धर्म नियमित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम रहने को कारण डायबिटीज में शुगर के कम लेवल को बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डॉ. शर्मा ने कई सोया उत्पादों के बारे में विचार-विमर्श किया, जिसमें सोया मिल्क, टोफू, सोया नगेट्स, सोया के गुणों से भरपूर गेहूं का आटा और सोया के गुणों वाले चने का आटा और दाल शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन उत्पादों का निर्माण उच्च प्रसंस्करण तकनीक से किया गया है। ये खाने में काफी स्वादिष्ट और सेहत के लिए सुरक्षित हैं।

उन्होंने जोर दिया कि सोया भारत में प्रोटीन कैलोरी संबंधी कुपोषण कम करने का शानदार उपाय है। हमारी सरकार को नौजवान पीढ़ी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई सहायक पोषण और कल्याण कार्यक्रमों में सोयाबीन को प्रमुख पोषक तत्व के रूप में शामिल करना चाहिए।

अमेरिका में पोषक सोया तेल के निर्माण के साथ हाई क्वालिटी का ऑयलिक सोया तेल भी विकसित किया गया है। हाई ऑयलिक सोया ऑयल को आंशिक रूप से हाइड्रोडिजिनेटेड वेजिटेबल ऑयल का इंडस्ट्री का पसंदीदा विकल्प माना जाता है। यह सभी तरह के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, खास तौर से स्नैक्स की डीप फ्राइंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हाई आयलिक सोया ऑयल ट्रांस फैट से मुक्त होता है। इसमें सेचुरेटेड फैट कम होता है और इसमें किसी भी पारंपरिक सोया तेल के मुकाबले 3 गुना ज्यादा लाभदायक मोनो अनसेचुरेटेड फैट होता है।

डॉ. शर्मा के अनुसार, अगस्त 2017 में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एपडीए) ने बंज नॉर्थ अमेरिका की एक याचिका को मंजूरी दी, जिसमें दावा किया गया है कि सोयाबीन तेल का प्रयोग करने से दिल के रोगों का खतरा कम होता है। सोया तेल अमेरिका में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला उत्पाद है और पॉलिअनसेचुरेटेड फैट का प्रमुख स्रोत है। खाद्य तेलों में सोयाबीन का तेल भारत में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला दूसरा खाद्य तेल है।

सोयाबीन के तेल को दिल के लिए काफी अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसमें अनसेचुरेटेड फैटी एसिड बहुत कम होते हैं। मनुष्य के स्वास्थ्य और उसकी सेहत के लिए 2 फैट कंपोनेंट, लाइनोलेयिक और लाइनोलेनिक एसिड इसमें शामिल होते हैं। ये दोनों एसिड सोयाबीन के तेल में उचित मात्रा में पाए जाते हैं। यह विटामिन ई का अच्छा स्रोत है। मछली के तेल की तरह, सोयाबीन के तेल में ओमेगा-3 होता है, जो दिल के रोगों और कैंसर से हमारी रक्षा करता है।

भारत में सोया युक्त खाद्य उत्पादों के बारे में विचार-विमर्श करते हुए डॉ. शर्मा ने स्पष्ट किया कि उचित मात्रा में पोषक पदार्थों वाले और स्वादिष्ट क्वॉलिटी वाले फूड प्रॉडक्ट के निर्माण में कच्चा माल प्रमुख भूमिका निभाता है। स्पेशल सोयाबीन का उत्पादन भारत में नहीं होता। इससे भारत के सोया फूड सेक्टर में अच्छी क्वालिटी के सोयाबीन का उत्पादन कम होता है, जिसे और अच्छा बनाने की संभावनाएं भी कम ही रहती हैं। डॉ. शर्मा ने अमेरिका के फूड स्पेशलिटी सोयाबीन के प्रयोग की सिफारिश की, जिससे भारतीय सोयाबीन की तुलना में अच्छी कर्वालिटी के सोया उत्पाद तो मिलते ही हैं, इनकी स्वीकार्यता भी बढ़ जाती है और इन्हें और बेहतर बनाने की संभावना भी रहती है।

इस कार्यक्रम में सोया फूड इंडस्ट्री, ट्रेड एसोसिशसंस, न्यूटीशन प्रोफेशनल्स, वैज्ञानिकों, देश भर की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रफेशनल्स और प्रेस व मीडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यूएस सोयाबीन एक्सपोर्ट काउंसिल (यूएसएसईसी) प्रमुख भागीदारों की महत्वपूर्ण साझेदारी वाली संस्था है, जिसका प्रतिनिधित्व अमेरिका के सोयाबीन उत्पादक करते हैं। उत्पादों को जहाज से भेजने वाले कारोबारी, विक्रेता, खाद्य उत्पादों का कारोबार करने वाली सहायक इंडस्ट्रीज और कृषि संस्थाएं भी इसके शामिल हैं। दुनिया भर में कार्यालयों के ग्लोबल नेटवर्क और अमेरिका में मजबूती से समर्थन प्राप्त होने के कारण यूएसएसईसी व्यापारिक और तकनीकी सेवाएं भी प्रदान करता है। इसके अलावा यूएसएसईसी अमेरिका के सोयाबीन उत्पादों की विश्व स्तर पर प्राथमिकता सुनिश्चित कर इन्हें दुनिया भर के बाजारों में मुहैया कराना भी तय करता है।