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सर्जिकल स्ट्राइक और  बालाकोट हवाई हमले शत्रु के लिए एक मजबूत संदेश थे

सर्जिकल स्ट्राइक (surgical strike) (2016) और  बालाकोट हवाई हमले (Balakot airstrikes)  (2019) केवल सैन्य हमले (military strikes) ही नहीं थे बल्कि शत्रु के लिए एक मजबूत संदेश थे ।

यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने आज बालाकोट हवाई हमले (Balakot airstrikes) की पहली वर्षगांठ के अवसर पर ‘सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज’ द्वारा “एयर पावर नो वॉर नो पीस” (Air Power in ‘No War No Peace’ ) विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।

उन्‍होंने कहा कि भारत के खिलाफ कम लागत की जंग छेड़ने के लिए सीमा पार स्थित आतंकी बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल सुरक्षित पनाहगाह के रूप में नहीं किया जा सकता है।

देश की सेवा में सशस्‍त्र बलों के बलिदान का स्‍मरण करते हुए और पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्‍होंने कहा कि देश शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।

बालाकोट हवाई हमलों (Balakot airstrikes) में भारत द्वारा दर्शायी गई जबरदस्‍त प्रतिक्रिया में नियंत्रण रेखा के पार अनेक सिद्धांतों को दोबारा लिखने के लिए मजबूर किया और यह बताया कि शत्रु को भविष्‍य में ऐसा दुस्‍साहस करने के लिए सौ बार सोचना होगा।

उन्‍होंने कहा कि इन हमलों में भारत की रक्षा क्षमता का प्रदर्शन हुआ है और आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने के अधिकार की पुष्टि हुई है।

राजनाथ सिंह ने बालाकोट हवाई हमले (Balakot airstrikes)  को सैन्‍य सटीकता और प्रभाव की एक विलक्षण घटना के रूप में वर्णन करते हुए कहा कि आतंकवाद के विरूद्ध हमारा दृष्टिकोण नैदानिक सैन्‍य कार्रवाई और परिपक्‍व तथा जिम्‍मेदार राजनयिक पहुंच का न्‍यायोचित संयोजन था।

उन्‍ह‍ोंने राष्‍ट्र को आश्‍वासन दिया कि सरकार भविष्‍य में भी राष्‍ट्र सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे का माकूल जवाब देगी। सरकार ने भविष्‍य में किसी भी खतरे से निपटने के लिए बड़े संरचनात्‍मक बदलाव शुरू किए हैं।

उन्‍होंने सभी हितधारकों से इन बदलावों को प्रभावी और कुशल बनाने में योगदान देने का अनुरोध किया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि आज दुनिया आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़ी है।

सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए सामूहिक राजनयिक और वित्‍तीय दबाव के महत्‍व पर जोर देते हुए उन्‍होंने कहा कि हमने अभी हाल में पाकिस्‍तान पर सामूहिक, राजनयिक और वित्‍तीय दबाव के प्रभाव को देखा है।

उन्‍होंने कहा कि वीआईपी और नायकों की तरह सम्‍मान पाने वाले हाफिज़ सईद जैसे आतंकियों को जेल में डाला गया। हमने महसूस किया है कि जब तक पाकिस्‍तान को जवाबदेह नहीं माना जाता है, यह कदम पर्याप्‍त नहीं हैं, क्‍योंकि पाकिस्‍तान नकल और छल की पुरानी नीति जारी रखेगा। इस दिशा में काम करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

जनरल विपिन रावत

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The Chief of Defence Staff (CDS), General Bipin Rawat

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ (Chief of Defence Staff )  जनरल विपिन रावत (General Bipin Rawat) ने कहा कि विश्‍व में भू-राजनीति बदल रही है और भारत इस क्षेत्र में अनेक झड़पों का गवाह है।

उन्‍होंने हर समय भूमि, वायु और समुद्र में विश्‍वसनीय निष्‍ठा बनाए रखने का आह्वान किया।

उन्‍होंने क‍हा कि तीनों सेनाओं का किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए मिलकर साथ-साथ काम करना चाहिए। विश्‍वसनीय निष्‍ठा, कठिन निर्णय लेते समय सैन्‍य नेतृत्‍व और राजनीति वर्ग की इच्‍छा से आती है। कारगिल, उरी और पुलवामा हमलों में यह निष्‍ठा तेजी से देखने को मिली।

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The Chief of the Air Staff, Air Chief Marshal R.K.S. Bhadauria

एयर चीफ मार्शल आर के एस भदोरिया

वायुसेना प्रमुख (Chief of Air Staff) , एयर चीफ मार्शल आर के एस भदोरिया (Air Chief Marshal R K S Bhadauria ) ने कहा कि 2019 में पाकिस्‍तान के भीतर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हमला करने का साहसिक निर्णय लिया था।

उन्‍होंने कहा कि उप-पारंपरिक परिदृश्‍य में वायुसेना का उपयोग एक प्रमुख बदलाव था।

उन्‍होंने उत्‍पन्‍न स्थिति से शीघ्रतापूर्वक निपटने के लिए किए गए राजनयिक और राजनीतिक प्रयासों की सराहना की।

सफल हवाई हमलों के कार्य में लगे विभिन्‍न संगठनों में तालमेल की प्रशंसा करते हुए उन्‍होंने कहा कि इस तरह के ठोस प्रयास किए गए कि इन हमलों में किसी नागरिक की मौत न हो।

उन्‍होंने हाल के दिनों में भारतीय वायु सेना को नवीनतम प्रौद्योगिकी से लैस करने के लिए राजनीतिक नेतृत्‍व की सराहना की। बेहतर क्षमताओं को हासिल करने के संघर्ष में डेढ़ दशक से भी अधिक का समय लग गया। उन्‍होंने स्‍वदेशी क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया।

इस सेमिनार में ‘युद्ध नहीं, शांति नहीं परिदृश्‍य में’ शत्रु के खिलाफ राष्‍ट्रीय इच्‍छा शक्ति के प्रयोग के कारण आवश्‍यक हुई परिस्थितियों में वायु शक्ति के उपयोग के बारे में ध्‍यान केंद्रित किया गया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव  डॉ जी सतीश रेड्डी, सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज़ के निदेशक एयर मार्शल के के. नोहवार (सेवानिवृत्त), पूर्व वायुसेनाध्यक्ष, विद्वान, सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।