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इस साल 89 व्यक्तियों को पद्म अलंकरण दिए जाने की घोषणा

नई दिल्ली, 25 जनवरी | देश के 68वें गणतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को देश के दूसरे सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्म  अलंकरणों की घोषणा कर दी गई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कुल 89 व्यक्तियों को पद्म  अलंकरण  दिए जाने की घोषणा की। इनमें सात लोगों को पद्म विभूषण, सात व्यक्तियों को पद्म भूषण और 75 व्यक्तियों को पद्मश्री के लिए चुना गया है।

इस साल देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए सात हस्तियों को चुना गया है, जिनमें सुंदरलाल पटवा और पी. ए. संगमा को मरणोपरांत सम्मानित किया जाएगा।

पद्म विभूषण के लिए नामित अन्य हस्तियों में वरिष्ठ राजनीतिक शरद पवार, मुरली मनोहर जोशी, प्रख्यात गायक येशुदास, धर्मगुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव और अंतरिक्ष विज्ञानी यू. आर. राव शामिल हैं।

इस बार कुल 19 महिलाओं को पद्म  अलंकरणों के लिए चयनित किया गया है।

पद्म भूषण के लिए मोहनवीणा वादक विश्व मोहन भट्ट, लेखक और शिक्षाशास्त्री देवी प्रसाद द्विवेदी, तेहेमोटन उद्वादिया, रत्न सुंदर महाराज, स्वामी निरंजनानंद सरस्वती, थाईलैंड की राजकुमारी महाचक्री सिरिंधोर्ण और दिवंगत चो रामास्वामी का चयन किया गया है।

पद्मश्री के लिए घोषित 75 व्यक्तियों में फिल्मी दुनिया से कैलाश खेर और अनुराधा पौडवाल तथा जाने-माने शेफ संजीव कपूर शामिल हैं।

खेल जगत से इस बार पद्मश्री पाने वालों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान पी. आर. श्रीजेश और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली, रियो ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक, पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियप्पन थंगावेलू और दीपा मलिक प्रमुख हैं।

इनके अलावा देश के अग्रणी एथलीट विकास गौड़ा और ओलम्पिक में पहली बार जिम्नास्टिक्स में प्रवेश हासिल करने वाली महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर और विश्व कप विजेता भारतीय दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम के कप्तान शेखर नाइक को भी पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।

दुनिया के सबसे बेहतरीन गोलकीपर में शुमार श्रीजेश ने कहा, “मैं यह  अलंकरण अपनी टीम को समर्पित करना चाहता हूं। मैं और मेरी टीम ने साथ-साथ ही विकास किया और सफलता का आनंद भी साथ ही लिया। टीम के काम के बगैर मुझे यह पुरस्कार मिल पाना संभव नहीं था।”

दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम के कप्तान शेखर की अगुवाई में 2012 में भारतीय टीम ने पहली बार टी-20 विश्व कप खिताब और 2014 में एकदिवसीय विश्व कप खिताब अपने नाम किया।

पद्मश्री मिलने की खबर पर दीपा मलिक ने ट्वीट किया, “मुझे इस सम्मान के लायक समझने के लिए भारत का शुक्रिया। मेरे देश ने मुझे इसके लिए सशक्त किया।”

वहीं देश की अग्रणी महिला बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने खुद को पद्म  अलंकरण न मिलने पर रोष जाहिर किया है।

ज्वाला ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, “मुझे हमेशा अचरज होता था कि देश के सबसे प्रतिष्ठित पद्म अवार्डो के लिए आवेदन करना होता है..लेकिन जब एक प्रक्रिया बनाई ही गई है..तो मैंने भी आवेदन कर दिया..मैंने इसलिए आवेदन किया, क्योंकि मुझे लगता है कि मैंने अपने प्रदर्शन से देश को गौरवान्वित किया है और इसलिए मैं इसकी हकदार हूं।”

इस बार बड़ी संख्या में ऐसे गुमनाम व्यक्तियों को भी पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा, जो देशसेवा में निष्काम अथक सेवा में लगे हुए हैं।

ट्री मैन के नाम से मशहूर तेलंगाना के दारिपल्ली रमैया हों, 76 वर्ष की आयु में तेज-तर्रार तलवारबाजी करने वाली केरल की मीनाक्षी अम्मा हों चाहे आग में कूदकर पिछले 40 वर्षो के दौरान सैकड़ों लोगों की जान बचाने वाले कोलकाता के बिपिन गनात्रा हों, ये ऐसे कुछ नाम हैं जिन्हें उनकी अथक निष्काम सेवा के लिए इस वर्ष देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री दिया जाएगा।

तेलंगाना के 68 वर्षीय रमैया ने अपना पूरा जीवन ही देश को हरा-भरा करने में लगा दिया है। अब तक वह एक करोड़ से अधिक वृक्ष लगा चुके हैं। मीनाक्षी अम्मा की बात करें तो वह केरल के वटकल गांव में वर्षो से स्कूली बच्चियों को तलवारबाजी की स्थानीय शैली ‘कलरीयपट्टू’ सिखा रही हैं।

देश के इन गुमनाम नायकों में डॉक्टर दादी के नाम से मशहूर डॉ. भक्ति यादव भी ऐसा ही एक नाम हैं। 91 वर्षीय डॉक्टर दादी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं और 60 वर्षो से मध्य प्रदेश में गरीब मिल मजदूरों की पत्नियों का मुफ्त में इलाज कर रही हैं। डॉक्टर दादी ने अब तक करीब 1,000 बच्चों का मुफ्त में प्रसव कराया है।

इसी तरह करीमुल हक अपने चलते-फिरते एंबुलेंस से चौबीसों घंटे लाचार रोगियों को अस्पताल पहुंचाते हैं। अब तक वह करीब 3,000 लोगों की जान बचा चुके हैं।

पद्मश्री के लिए घोषित गुमनाम नायकों में बुनकरों के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीन की इजाद करने वाले तेलंगाना के चिंताकिंदी मल्लेशाम, देश के राष्ट्रीय राजमार्गो पर त्वरित चिकित्सा सेवा मुहैया कराने वाले डॉक्टर सुब्रतो दास, मानव तस्करों के शिकंजे से निकालकर उनका मां की तरह पालन-पोषण करने वाली नेपाली मूल की अनुराधा कोइराला और कर्नाटक के हलक्की आदिवासी समुदाय से आने वाली लोक गायिका सुकरी बोम्मागौड़ा भी शामिल हैं।

–आईएएनएस