Tihar Jail

जेल सुधारों को तेजी से लागू करने के लिए केन्द्र का राज्यों को पत्र

नई दिल्ली, 9 मई (जनसमा)। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे जेल सुधारों को समयबद्ध तरीके से लागू करने के लिए ठोस प्रयास करें। बंदियों की दशा सुधारने के लिए यह नितांत आवश्यक है। इसके लिए कारावास प्रशासन में भी सुधार लाया जाए।

केन्द्र सरकार ने एक पत्र में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रशासनों से आग्रह किया है कि वे जेल सुधारों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जेल प्रमुखों के पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित प्रस्तावों के क्रियान्वयन के संबंध में प्रगति की सूचना केन्द्र को भेजें।

तिहाड़ जेल : फाइल फोटो आईएएनएस

जेल सुधारों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जेल प्रमुखों का पांचवां राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली में 29- 30 सितंबर, 2016 को हुआ था जिसमें राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों, सीपीओ, एनजीओ इत्यादि के 150 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। कारावास प्रशासन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई थी। सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्वीकार किया था।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे निम्नलिखित सुधारों पर गौर करें और उन्हें कार्यान्वित करें। इनका उद्देश्य कारावास प्रशासनिक प्रणाली को कारगर बनाना है :

  • कारावास विभाग का नाम बदल कर ‘कारावास एवं सुधारात्मक प्रशासन’ किया जाएगा, जिसके तहत एकीकृत कारावास, सुधारात्मक और परिवीक्षा सेवाएं शामिल हैं।
  • हर राज्य को कारावास विभाग के तहत एक कल्याण शाखा स्थापित करनी होगी, जिसमें कल्याण अधिकारियों, विधि अधिकारियों, काउंसलर और परिवीक्षा अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
  • कारावास नियमों और कानूनों में बुनियादी एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने मौजूदा जेल मैनुअल की समीक्षा करें और गृह मंत्रालय द्वारा तैयार तथा मई, 2016 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए आदर्श जेल मैनुअल, 2016 के प्रावधानों को लागू करें।
  • शीघ्र सुनवाई और अदालतों तक विचाराधीन बंदियों को लाने-ले-जाने के खर्च में कमी लाने के लिए सभी जेलों को वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालतों से जोड़ा जाए।
  • कारावास विभागों में सभी पदों की मौजूदा रिक्तियों को जल्द भरा जाए।
  • प्राथमिकता के आधार पर जेल ई-प्रणाली को अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं प्रणालियों (सीसीटीएनएस) तथा ई-न्यायालयों के साथ एकीकृत किया जाए।
  • समय-समय पर विचाराधीन बंदी प्रबंधन के संबंध में जेल, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और न्याय पालिका का संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित किया जाए। कैदियों की आपराधिक प्रवृत्ति और कट्टरता में कमी लाने के लिए अलग से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जाएं।***