खेलों के प्रति हमें पुरानी धारणा में बदलाव लाना होगा : हरीश रावत

देहरादून, 02 दिसंबर (जस)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि खेलों के प्रति हमें पुरानी धारणा में बदलाव लाना होगा। ‘‘पढ़ोगे लिखोगे के साथ ही खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब’’ की सोच लानी होगी। प्रदेश में खेल व खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए पिछले दो वर्षों में काफी कुछ किया गया है।

मुख्यमंत्री हरीश रावत शुक्रवार को न्यू कैंट रोड़ स्थित सीएम आवास में आयोजित ‘खेल छात्र  संसद’ में छात्र-छात्राओं के सवालों के जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि खेलों में ‘स्काई इज द लिमिट’ है। हम शिक्षा के साथ ही खेलों के स्तर में भी सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं। आने वाले वर्षों में खेलों में बजट की राशि को बढ़ाया जाएगा।

खेल संसद में दर्जनों स्कूलों के बच्चों ने अपने प्रश्न पूछने के साथ ही खेलों के विकास के लिए बहुत से सुझाव दिए। मुख्यमंत्री ने न केवल इन प्रश्नों व सुझावों को गौर से सुना बल्कि बहुत से सुझावों पर अमल के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित भी किया। यह बताए जाने पर कि सरकार द्वारा आयोजित स्कूली खेलों में प्राईवेट स्कूलों की भागीदारी नहीं होती है, मुख्यमंत्री ने खेल विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि भविष्य में स्कूली खेल प्रतियोगिताओं में प्राईवेट स्कूलों व केंद्रीय विद्यालयों को भी शामिल किया जाए। खेलों विशेष तौर पर मार्शल खेलों में लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए खेल नीति में प्राविधान किये जाऐंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधाओं के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हमारे पास 3890 खेल के मैदान हैं, जिनका उपयोग किया जा रहा है, वर्ष 2017 तक इनकी संख्या 5000 करने का प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने खेल विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामीण खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति व भत्ता देने का प्रस्ताव तैयार किया जाए।