झीलों का शहर

झीलों का शहर बनाने की कवायद

झीलों का शहर बनाने की कवायद में दिल्ली सरकार की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक निलोठी (Nilothi) झील है।दिल्ली की निलोठी झील दिल्ली सरकार की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। दिल्ली की झीलों को पुनर्जीवित कर उन्हें आकर्षक पर्यटन स्थलों में तब्दील किया जा रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी में10.5 एकड़ में फैली 3 झीलों की वॉटर होल्डिंग क्षमता 255 मिलियन लीटर है।
झीलों का शहर बनाने के विजन को साकार करने के लिए दिल्ली सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है।
इसी कड़ी में मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निलोठी में बनाई गई तीन कृत्रिम झीलों व निलोठी एसटीपी का मुआयना किया। इस मौके पर परिसर में मौजूदा 20 एमजीडी एसटीपी से ट्रीटेड पानी को इन झीलों में छोड़ा। साथ ही अधिकारियों को वैज्ञानिक पद्धति और प्रौद्योगिकियों के जरिए परियोजना के फायदों को लेकर स्टडी करने के निर्देश दिए।
दिल्ली सरकार का उद्देश्य शहरी बाढ़ को रोकना और अवरुद्ध नालियों से बचने के लिए विभिन्न जलाशयों का निर्माण करना है।
दिल्ली सरकार ‘सस्टेनेबल मॉडल’ का उपयोग करके झीलों का कायाकल्प कर रही है। झीलों के आस-पास पर्यावरण तंत्र को जीवंत करने के लिए देसी पौधे लगाए जा रहे है। साथ ही सभी जल निकायों को सुंदर रूप देने की दिशा में कड़ी मेहनत की जा रही है।
इकोलॉजिकल सिस्टम को बनाए रखने और लागत प्रभावी तरीकों के साथ ज्यादा से ज्यादा अंडरग्राउंड वॉटर रिचार्च करने के लिए यहां एक साथ 3 झीलों का निर्माण दिल्ली जल बोर्ड द्वारा किया गया है।
दिल्ली की झीलों में पानी भरना शुरू हो गया है। एक महीने में 3 झीलों में पानी पूरी तरह से भर जाएगा। ये झीलें कार्बन भंडारण के लिए एक सिंक के रूप में भी काम करेगी। पौधों, पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों के लिए आशियाना बनेगी। साथ ही यहां पर्यटक गर्मी से राहत के साथ सुकून के पल तलाश पाएंगे।
झीलों से आसपास की आबोहवा भी साफ होगी। इससे महानगर की बढ़ती आबादी के लिए पानी की डिमांड और सप्लाई के अंतर को कम करने के अलावा गर्मी के चरम के दौरान तापमान को कम करने में भी मदद मिलेगी।