फीस

दिल्ली में किसी भी प्राइवेट स्कूल को फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं

नई दिल्ली, 11 सितंबर । उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली में किसी भी प्राइवेट स्कूल (Private school) को स्कूल फीस (School Fees) बढ़ाने की इजाजत नहीं है।
संस्कृति स्कूल को पूर्व में दी गई अनुमति वापस लेने की घोषणा करने हुए सिसोदिया ने कहा कि इस मामले में किसी भी दबाव के आगे केजरीवाल सरकार नहीं झुकेगी।
सिसोदिया ने दिल्ली सचिवालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में गुरूवार 10 सितंबर को यह घोषणा की।
उन्होंने कहा कि आज संस्कृति स्कूल, चाणक्यपुरी के कुछ अभिभावकों से मिली गंभीर शिकायतों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।
सिसोदिया ने कहा कि पहले भी अभिभावकों के कई समूहों ने मुझसे तथा माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर संस्कृति स्कूल द्वारा दोगुनी फीस वृद्धि का आरोप लगाया गया था।
सिसोदिया के अनुसार संस्कृति स्कूल की फीस (School fees) में लगभग 75 फीसदी की वृद्धि पूर्णतया गलत है। इसलिए आज मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल के साथ विचार-विमर्श के उपरांत संस्कृति स्कूल में किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि पर पूर्णतया रोक लगा दी गई है।
सिसोदिया के अनुसार इस संबंध में कुछ चीजों की अनदेखी करके पूर्व में दी गई अनुमति को भी वापस ले लिया गया है।
 सिसोदिया के अनुसार स्कूलों में जीएएपी नामक प्रणाली के तहत एकाउंटिंग और आॅडिट की विशेष प्रणाली का पालन करना जरूरी होता है। लेकिन संस्कृति सकूल ने इसका पालन नहीं किया।
वर्ष 2017-18 में इस विद्यालय के पास सरप्लस राशि उपलब्ध होने के कारण स्कूल फीस (School fees) बढ़ाने की आवश्यकता नहीं।
सिसोदिया के अनुसार वर्ष 2017-18 में इस विद्यालय को फीस वृद्धि का प्रस्ताव रद्द करते हुए निर्देश दिया गया था कि शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन का भुगतान स्कूल की सरप्लस राशि से की जाए तथा इसका बोझ बच्चों पर न डाला जाए। लेकिन स्कूल ने इस निर्देश का अनुपालन नहीं किया।
 सिसोदिया के अनुसार हर स्कूल को स्थापना की अनुमति तभी मिलती है जब उसके पास स्टाफ के लिए तीन माह की सैलरी फिक्स डिपोजिट हो। लिहाजा, अब उस राशि के लिए फीस बढ़ाने की मांग अनुचित है क्योंकि वह राशि तो स्कूल की स्थापना के समय से ही फिक्स डिपोजिट के रूप में जमा है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा गठित अनिल देव सिंह कमेटी ने वर्ष 2010 से 2012 तक प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से बढ़ाई गई फीस की राशि वापस कराई थी। अब संस्कृति स्कूल चाहता है कि उस लौटाई गई राशि को स्कूल के खर्च के रूप में दिखाकर बच्चों से उसकी वसूली की जाए। जबकि पहले ज्यादा वसूली गई राशि को खर्च के तौर पर दिखाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
सिसोदिया ने कहा कि डवलपमेंट फंड को भी अलग एकाउंट में जमा करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। इन वजहों से संस्कृति स्कूल को फीस (School fees)) बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कोरोना महामारी के कारण वैसे भी ट्यूशन फीस के अलावा अन्य राशि वसूलने पर रोक लगी है। इसके बावजूद संस्कृति द्वारा फीस बढ़ाने के कारण अभिभावक परेशान हैं।
सिसोदिया के अनुसार अभिभावकों ने बताया कि उक्त स्कूल के पक्ष में बड़े-बड़े लोगों की तरफ से काफी दबाव आ रहा है। लेकिन केजरीवाल सरकार किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगी। आज विचार विमर्श में केजरीवाल ने साफ शब्दों में कहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार हर हाल में बच्चों और अभिभावकों के साथ खड़ी रहेगी।
****