बच्चियों के साथ गैंग रेप के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान

बच्चियों के साथ गैंग रेप के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान

सरकार ने नए कानूनों में 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के साथ गैंग रेप के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान रखा है।
नई दिल्ली, 11 अगस्त। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया है, जो आज अमल में नहीं है।
अमित शाह ने कहा कि नागरिकों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए आज़ादी के 75 सालों के बाद पहली बार ज़ीरो FIR को हम शुरू कर रहे हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने लोक सभा को आश्वस्त किया कि अपराध कहीं भी हुआ हो उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर किया जा सकेगा।
अपराध रजिस्टर होने के 15 दिनों के अंदर संबंधित थाने को भेजना होगा। पहली बार हम ई-एफआईआर का प्रावधान जोड़ रहे हैं।
हर ज़िले और पुलिस थाने में एक ऐसा पुलिस अधिकारी नामित किया जाएगा जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार को उसकी गिरफ्तारी के बारे में ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूप से सूचना देगा।
शाह ने कहा कि यौन हिंसा के मामले में पीड़ित का बयान कंपल्सरी कर दिया गया है और यौन उत्पीड़न के मामले में बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अब कंपल्सरी कर दी गई है।
पुलिस को 90 दिनों में शिकायत का स्टेटस और उसके बाद हर 15 दिनों में फरियादी को स्टेटस देना कंपल्सरी होगा। पीड़ित को सुने बिना कोई भी सरकार 7 वर्ष या उससे अधिक के कारावास का केस वापस नहीं ले सकेगी, इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। पहली बार हम कम्युनिटी सर्विस को सज़ा के रूप में इस कानून में ला रहे हैं।
छोटे मामलों में समरी ट्रायल का दायरा भी बढ़ा दिया गया है, अब 3 साल तक की सज़ा वाले अपराध समरी ट्रायल में शामिल हो जाएंगे, इस अकेले प्रावधान से ही सेशन्स कोर्ट्स में 40 प्रतिशत से अधिक केस समाप्त हो जाएंगे।
आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 90 दिनों की समयसीमा तय कर दी गई है और परिस्थिति देखकर अदालत आगे 90 दिनों की परमीशन और दे सकेंगी। इस प्रकार 180 दिनों के अंदर जांच समाप्त कर ट्रायल के लिए भेज देना होगा।
कोर्ट अब आरोपित व्यक्ति को आरोप तय करने का नोटिस 60 दिनों में देने के लिए बाध्य होंगे। बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर माननीय न्यायाधीश को फैसला देना होगा, इससे सालों तक निर्णय पेंडिंग नहीं रहेगा, और फैसला 7 दिनों के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सिविल सर्वेंट या पुलिस अधिकारी के विरूद्ध ट्रायल के लिए सरकार को 120 दिनों के अंदर अनुमति पर फैसला करना होगा वरना इसे डीम्ड परमीशन माना जाएगा और ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा।
हमने एक और बहुत बड़ा क्रांतिकारी बदलाव किया है जो पुलिस अधीक्षक (SP) अभी नौकरी कर रहा है वो ही फाइल देखकर गवाही देगा, जो पहले था उसे आने की ज़रूरत नहीं होगी, जिससे गवाही जल्द होगी और न्याय भी जल्द हो सकेगा।
इसक् अलावा, घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की का भी प्रावधान लेकर आए हैं।
अंतरराज्यीय गिरोह और संगठित अपराधो के विरूद्ध अलग प्रकार की कठोर सज़ा का नया प्रावधान भी हम इस कानून में जोड़ रहे हैं। महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं के निपटारे के लिए भी कई प्रावधान किए हैं।
पहली बार ऐसा प्रावधान किया गया कि शादी, रोज़ग़ार और पदोन्नति के झूठे वादे और गलत पहचान के आधार पर यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में लाया गया है।
मॉब लिंचिग के लिए 7 साल, आजीवन कारावास और मृत्यु दंड के तीनों प्रावधान रखे गए हैं। मोबाइल फोन या महिलाओं की चेन की स्नेचिंग के लिए पहले कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन अब इसके लिए भी प्रावधान रखा गया है।