बस्तर के हस्तशिल्प

बस्तर के हस्तशिल्प की मांग देश में ही नहीं विदेशों में भी है

बस्तर के हस्तशिल्प

अगरबत्तियां तैयार करती महिलाएं

बस्तर के हस्तशिल्प की मांग देश में ही नहीं विदेशों में भी है।  छत्तीसगढ़ के आदिवासी ज़िले बस्तर के हस्तशिल्प की मांग अन्य राज्यों के अलावा विदेशों में भी है किन्तु मार्केटिंग की जानकारी न होने की वजह से शिल्पकारों को उनके मेहनत का उचित दाम नहीं मिल पाता है।

बस्तर के हस्तशिल्प को ‘बस्तर आर्ट’ के नाम से भी जाना जाता है। अब जिला प्रशासन द्वारा बस्तर की लोककला और हस्तशिल्प को देश और दुनिया मे पहचान दिलाने के लिए नित नये प्रयोग किये जा रहे हैं ताकि स्थानीय लोक कलाकारों और हसतशिल्पियों को काम मिले ।

‘आमचो बस्तर’ की भावना को केंद्र में रखते हुये जिला प्रशासन महिला समूहों को निर्माण, यूनिक डिजाइन, मार्केटिंग, एकाउंटिंग में आदि का प्रशिक्षण देकर बाजार के मांग अनुरूप सामग्रियां और वैल्यू एडेड उत्पादो का निर्माण कराया जा रहा है।

वर्तमान में महिला समूह के उत्पादों की मार्केटिंग हेतु ट्राईफेड, बस्तर कला गुड़ी, ट्राइबल टोकनी, लोका बाजार, सॉफ्टवेयर, पंखुड़ी सेवा समिति, अमचो बस्तर बाजार, सहित अन्य संबंधित संस्थानों से अनुबंध कराया गया है जिसका अच्छा परिणाम मिल भी रहा है।

तैयार करती महिलाएं

Tumba Art

बस्तर में समूह से जुड़ी महिलाएं इन दिनों कलाकृतियों में वैल्यू एडिशन करने में जुटी हुई है। पारंपरिक बाँस कला, मृदा कला, टेराकोटा, तुम्बा आर्ट (Tumba art) , सीसल कला, हस्तनिर्मित अगरबत्तियां (Agarbatti) एवं धूपबत्ती और ढोकरा क्राफ्ट के नये आकर्षक डिजाइनों ,को और भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

बस्तर के हस्तशिल्प के बारे में कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि परंपरागत एवं नए डिजाइन के प्रोडक्ट्स की अच्छी मांग आ रही है। सोशल और डिजिटल प्लेटफार्म में प्रोडक्ट्स के प्रचार से विक्रय में भी बढ़ोतरी हुई है। हम निरंतर मार्केटिंग सिस्टम को मजबूत बनाने में लगे जुटे हुए हैं। बस्तर हस्तशिल्प के पर्यटन से जोड़ने की भी जिला प्रशासन की योजना है इसके तहत मुख्य पर्यटन स्थलों मे सुविनियर शॉप खोले जाएंगे, जिसमे बस्तर की सभी कलाकृतियों को अवलोकन व विक्रय हेतु रखा जाएगा।

जिला प्रशासन के इस पहल से जहाँ बस्तर के हस्तशिल्प को एक नई दिशा मिलेगी वहीं हस्तशिल्पियों को निरंतर काम मिलने से उनकी आजीविका में वृद्धि होना तय है। इस पहल से नई पीढ़ी भी आजीविका के लिए ‘बस्तर आर्ट’ में अपनी रुचि बढ़ाएगी।