ब्लैक फंगल

ब्लैक फंगल के मामले सामने आने पर गहलोत ने चिन्ता जाहिर की

राजस्थान में कोविड रोगियों में ब्लैक फंगल के कई मामले सामने आने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिन्ता जाहिर करते हुए प्रशासन को आदेश दिया है कि अस्पतालों में उपचार की विशेष सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

मुख्यमंत्री ने 18 मई,  मंगलवार रात को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से  दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय करने के निर्देश दिए है।
ब्लैक फंगल बीमारी के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं की खरीद की निविदा जारी कर दी गई है।  निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगल बीमारी के उपचार की दरों का निर्धारण जल्द कर दिया जाएगा।
प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अखिल अरोरा ने बताया कि निजी चिकित्सालयों में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभार्थियों की मदद के लिए कार्मिक नियुक्त किए जाएंगे, जो मरीज के परिजनों को योजना का लाभ दिलाने में सहायता करेंगे।
सीएचसी एवं पीएचसी स्तर पर आवश्यक मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही इंटरव्यू शुरू किए जाने की तैयारी की जा रही है।
गहलोत ने कहा कि प्रदेश में सीएचसी और पीएचसी स्तर पर कोविड उपचार की व्यवस्थाओं को युद्ध स्तर पर सुदृढ़ बनाया जाए। मॉडल सीएचसी में भर्ती सुविधाओं, ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने, शिशु गहन चिकित्सा इकाई स्थापित करने आदि कामों को समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे हमें कोरोना की दूसरी लहर के साथ-साथ तीसरी लहर का मुकाबला करने में मदद मिल सकेगी। साथ ही, कोविड रोगियों को स्थानीय स्तर पर समुचित उपचार मिलने से जिला एवं संभागीय अस्पतालों पर दबाव कम हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जयपुर सहित प्रदेश के जिन जिलों में संक्रमण की दर अधिक है, वहां माइक्रो कन्टेनमेंट जोन की व्यवस्था को और मजबूत बनाया जाए। डोर-टू-डोर सर्वे और दवा किट के वितरण के काम को तेज किया जाए।
उन्होंने कहा कि कई बड़े निजी चिकित्सालयों में सिलेण्डर के माध्यम से ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था है। उन्हें पाइप लाइन के माध्यम से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा स्वयं के ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि लैब टेक्नीशियन और रेडियोग्राफर की भर्ती को जल्द अंतिम रूप दिए जाने की जरूरत है। इससे सीएचसी और पीएचसी में पर्याप्त पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की स्थापना प्रक्रिया को और अधिक विकेन्द्रीकृत करने का सुझाव दिया।