विकास के मामले में पूर्वोत्तर भारत को आगे बढ़ाने की आवश्यकता: जितेन्द्र सिंह

नई दिल्ली, 30 मार्च (जनसमा)। केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने युवा शक्ति तथा भारत के सभी क्षेत्रों के समान विकास पर बल दिया। डॉ. जितेन्द्र सिंह बुधवार को भारत, म्यांमार तथा बांग्लादेश के बीच उप-क्षेत्रीय सहयोग विषय पर एक गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

फोटोः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 19 जनवरी 2016 को सिक्किम की राजधानी गंगटोक में जैविक उत्पादों की प्रदर्शनी का दौरा करते हुए। (फोटोः आईएएनएस)

उन्होंने कहा कि विकास के मामले में पूर्वोत्तर भारत को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और अन्य मंत्रालयों के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय इस दिशा में तालमेल से काम कर रहा है। डॉ. सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए हाल में कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। गंतव्य उत्तर पूर्व समारोह तथा सिक्किम को देश के पहले जैविक राज्य के रूप में मान्यता दी गई।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कारोबार पर बल देते हुए कहा कि हम हितधारक बनाए बिना आगे नहीं बढ़ सकते और हितधारकों को सहायता देने की आवश्यकता है। उन्होंने खाद्य उद्योगों का उदाहरण देते हुए कहा कि खाद्य सामग्री उत्पादन लागत प्रभावी और प्रामणिक होनी चाहिए।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से सटे पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के दोनों ओर क्षेत्रीय तथा सांस्कृतिक समानता है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में स्टार्ट-अप की व्यापक संभावनाएं है। इसके लिए पूर्वोत्तर भारत में स्टार्ट-अप के लिए वेंचर फंड तथा अन्य उपाय किए जा सकते है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में युवा स्टार्ट अप पूर्वोत्तर भारत को अपना स्थान बनाएंगे। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत के आगे बढ़ने में कुछ चुनौतियां है। इनमें संसाधनों का अधिकतम उपयोग, युवा ऊर्जा को अधिक से अधिक सक्रिय करना तथा प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल शामिल है।

भारत की ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति के बारे में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इसे कारगर रूप से लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से सटे पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में सम्पर्क मार्ग की समस्या है। उन्होंने नए हवाई अड्डों, हेलिकॉप्टर सेवा के विकल्प का सुझाव दिया।

चार सत्रों की इस संगोष्ठी में उप क्षेत्र में आर्थिक सहयोग, भारत, म्यांमार तथा बांग्लादेश के बीच व्यापार रूझान और व्यापार के तरीकों तथा सम्पर्क और एफडीआई के जरिए आर्थिक सहयोग जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। संगोष्ठी में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।