‘ब्रज भाषा में दोहे कहते थे अकबर’

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | वरिष्ठ पत्रकार और ‘अकबर’ किताब के लेखक शाजी जमां का कहना है कि अकबर सभी प्रकार की जानकारियां रखते थे, और बहुत कम लोगों को पता है कि वह ब्रज भाषा में दोहे कहते थे, साथ ही वह आम जनता की बोलचाल की भाषा से भी वाकिफ थे। उन्होंने कहा कि भाषा के अलावा धर्म में भी उनकी गहरी रुचि थी।

जमां ने कहा, “बादशाह अकबर आज के जमाने की भाषा में ‘डिस्लेकशिया’ नामक बीमारी के शिकार थे। इसका आधार वे दो दस्तावेज हैं, जिनमें अकबर की लिखावट देखने को मिलती है। लेकिन, वह सभी प्रकार की जानकारी रखते थे। बहुत कम लोगों को पता है कि वह ब्रज भाषा में दोहे कहते थे, साथ ही वह आम जनता की बोलचाल की भाषा से भी वाकिफ थे। भाषा के अलावा धर्म में भी उनकी गहरी रुचि थी।”

ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर और राजकमल प्रकाशन समूह का साझा कार्यक्रम जमां की आने वाली किताब ‘अकबर’ पर आधारित थी और अनुभवी पत्रकार मधुकर उपाध्याय ने लेखक के साथ संवाद में बादशाह अकबर के जीवन और उनके कार्यकाल पर चर्चा की। कार्यक्रम में दास्तानगो दारैन शाहिदी ने किताब के एक अंश का पाठ किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

उपाध्याय और जमां के बीच लगभग एक घंटे से अधिक की बातचीत में मुगल सल्तनत के बादशाह अकबर के जीवन के कई अनकहे, अनसुलझे और दिलचस्प पहलुओं की जानकारी सामने आई, जिसने लोगों की किताब के प्रति उत्सुकता और अधिक बढ़ी।

बाएं से दाएं डराइन शाहिदी, शाज़ी ज़मा, मधुकर उपाध्याय

उपाध्याय द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में जमां ने कहा, “निर्देशक के. आसिफ की फिल्म मुगल-ए-आजम में अकबर का किरादर निभाने वाले पृथ्वीराज कपूर और बादशाह अकबर के बीच कुछ समानता जरूर थी, ऐसा अकबर के आखिरी दिनों की एक तस्वीर से पता चलता है। जिसमें वह बहुत हद तक पृथ्वीराज कपूर की तरह दिखते हैं। इसका मतलब यह कि के. आसिफ भी उन शोध सामग्रियों तक जरूर पहुंचे होंगे, जिनका शोध के दौरान मैंने भी अध्ययन किया है।”

जमां ने कहा, “अपने शोध और उपन्यास के लिखने के दौरान अकबर पर बनी फिल्मों, टीवी धारावाहिकों और किताबों से अपने को जानबूझ कर दूर रखा, ताकि शोध पर उसके असर से बचा जा सके। बादशाह अकबर के करीबी माने जाने वाले लेखकों की किताबों और देसी भाषाओं के साहित्य, साथ ही ईसाई पादरियों के पत्रों आदि को ही अपने अध्ययन का आधार बनाया। साथ ही मुगल कालीन चित्रों का भी गहरा अध्ययन किया है।”

उल्लेखनीय है कि इतिहास के पन्नों में धर्मनिरपेक्ष शासक के रूप में मशहूर अकबर की जिन्दगी में एक ऐसा भी समय आया, जब वह मानने लगे थे कि उनका जन्म किसी विशेष कार्य को सम्पन्न करने के लिए हुआ है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी अकबर के रूहानी और सियासी व्यक्तित्व को समग्रता में सामने लाने वाला उपन्यास ‘अकबर’ 15 नवंबर तक अमेजन पर प्री-बुकिंग के लिए उपलब्ध है।

— आईएएनएस