Mann Ki Baat

बाबा साहेब ने सविंधान के माध्यम से दलितों को सशक्त बनाया

‘बाबा साहेब ने सविंधान के माध्यम से दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो हाशिये पर खड़े करोड़ों लोगों को सशक्त बनाया। करुणा का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता। लोगों की पीड़ा के लिए यह करुणा भगवान बुद्ध के सबसे महान गुणों में से एक थी।”

ऐसा कहा जाता है कि बौद्ध भिक्षु विभिन्न देशों की यात्रा करते रहते थे। वह अपने साथ भगवान बुद्ध के समृद्ध विचारों को ले करके जाते थे और यह सभी काल में होता रहा है। समूचे एशिया में भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ हमें विरासत में मिली हैं। वह हमें अनेक एशियाई देशों; जैसे चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कम्बोडिया, म्यांमार कई अनेक देश वहाँ बुद्ध की इस परंपरा, बुद्ध की शिक्षा जड़ों में जुड़ी हुई हैं और यही कारण है कि हम Buddhist Tourism के लिए Infrastructure विकसित कर रहे हैं, जो दक्षिण-पूर्वी एशिया के महत्वपूर्ण स्थानों को, भारत के खास बौद्ध स्थलों के साथ जोड़ता है।

मुझे इस बात की भी अत्यंत प्रसन्नता है कि भारत सरकार कई बौद्ध मंदिरों के पुनरुद्धार कार्यों में भागीदार है। इसमें म्यांमार में बागान में सदियों पुराना वैभवशाली आनंद मंदिर भी सम्मलित है।

आज विश्व में हर जगह टकराव और मानवीय पीड़ा देखने को मिलती है। भगवान बुद्ध की शिक्षा घृणा को दया से मिटाने की राह दिखाती है। मैं दुनिया भर में फैले हुए भगवान बुद्ध के प्रति श्रद्धा रखने वाले, करुणा के सिद्धांतों में विश्वास करने वाले – सबको बुद्ध पूर्णिमा की मंगलमयी कामना करता हूँ। भगवान बुद्ध से पूरी दुनिया के लिए आशीर्वाद मांगता हूँ, ताकि हम उनकी शिक्षा पर आधारित एक शांतिपूर्ण और करुणा से भरे विश्व का निर्माण करने में अपनी ज़िम्मेदारी निभा सकें।

आज जब हम भगवान बुद्ध को याद कर रहे हैं। आपने laughing Buddha की मूर्तियों के बारे में सुना होगा, जिसके बारे में कहा जाता है कि laughing Buddha good luck लाते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि smiling Buddha भारत के रक्षा इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना से भी जुड़ी हुई है। अब आप सोचते रहे होंगे कि smiling Buddha और भारत की सैन्य-शक्ति के बीच क्या संबंध है?

आपको याद होगा आज से 20 वर्ष पहले 11 मई, 1998 शाम को तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था और उनकी बातों ने पूरे देश को गौरव, पराक्रम और खुशी के पल से भर दिया था। विश्वभर में फैले हुए भारतीय समुदाय में नया आत्मविश्वास उजाग़र हुआ था। वह दिन था बुद्ध पूर्णिमा का।

11 मई, 1998, भारत के पश्चिमी छोर पर राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया था। उसे 20 वर्ष हो रहे हैं और ये परीक्षण भगवान बुद्ध के आशीर्वाद के साथ बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया था। भारत का परीक्षण सफल रहा और एक तरह से कहें तो विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत ने अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया था।

हम कह सकते हैं कि वो दिन भारत के इतिहास में उसकी सैन्य-शक्ति के प्रदर्शन के रूप में अंकित है। भगवान बुद्ध ने दुनिया को दिखाया है- inner strength अंतर्मन की शक्ति शांति के लिए आवश्यक है। इसी तरह जब आप एक देश के रूप में मजबूत होते हैं तो आप सब के साथ शांतिपूर्ण रह भी सकते हैं।

मई, 1998 का महीना देश के लिए सिर्फ़ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि इस महीने में परमाणु परीक्षण हुए, बल्कि वो जिस तरह से किए गए थे वह महत्वपूर्ण है। इसने पूरे विश्व को दिखाया कि भारत की भूमि महान वैज्ञनिकों की भूमि है और एक मज़बूत नेतृत्व के साथ भारत नित नए मुकाम और ऊँचाइयों को हासिल कर सकता है।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मंत्र दिया था – “जय-जवान जय-किसान, जय-विज्ञान” आज जब हम 11 मई, 1998 उसका 20वाँ वर्ष मनाने जा रहे हैं, तब भारत की शक्ति के लिए अटल जी ने जो ‘जय-विज्ञान’ का हमें मंत्र दिया है, उसे आत्मसात करते हुए आधुनिक भारत बनाने के लिए, शक्तिशाली भारत बनाने के लिए, समर्थ भारत बनाने के लिए हर युवा योगदान देने का संकल्प करे। अपने सामर्थ्य को भारत के सामर्थ्य का हिस्सा बनाएँ। देखते-ही-देखते जिस यात्रा को अटल जी ने प्रारंभ किया था, उसे आगे बढ़ाने का एक नया आनंद, नया संतोष हम भी प्राप्त कर पाएँगे। (29 अप्रैल,2018 को आकाशवाणी से प्रसारित ‘मन की बात’ की 43वीं कड़ी में प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी का सम्बोधन का एक अंश )