Raj Bhawan

गहलोत के राजभवन घेराव वाले बयान को लेकर भाजपा नेताओं को कड़ी आपत्ति

जयपुर, 24 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के राजभवन घेराव ( Raj Bhawan gherao) वाले बयान को लेकर भाजपा (BJP)नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है। केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान के मुखिया की कुर्सी बेहतरीन शासन प्रबंध के लिए जनता की ओर से सौंपी गई है। मुख्यमंत्री गहलोत राज्यपाल के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह एक मुख्यमंत्री की तो कतई नहीं हो सकती।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया-“विनाश काले विपरीत बुद्धि” देखिए कानून के रखवाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुर्सी बचाने के लिए राजभवन घेराव ( Raj Bhawan gherao) की धमकी दे रहे हैं क्या आप राज्यपाल को सत्र बुलाने के लिए दवाब दे सकते हैं?कुछ मसले न्यायिक प्रक्रिया के अधीन हैं क्या आप संविधान और कानून से उपर हैं?इतिहास आपको माफ नहीं करेगा?”

एक अन्य ट्वीट में पूनियां ने लिखा कि- “मुख्यमंत्री गहलोत प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं, जो कानून के रखवाले है जो राजभवन को घेरने और जनता को उकसाने का अपराध कर रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते क्या आपदा अधिनियम की धारा में भीड़ को आमंत्रण देकर अपराध नहीं कर रहे हैं,होटल में विगत दिनों धज्जियां तो पहले से ही उड़ा रहे हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पत्रकार वार्ता पर निशाना साधते हुए केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने ट्वीट किया।

उन्होंने लिखा कि गहलोत जी, सत्ता लोभ में छल, कपट और धमकियों की आपकी राजनीति राजस्थान देख भी रहा है और समझ भी रहा है! एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि …तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी। क्या एक मुख्यमंत्री किसी प्रदेश के राज्यपाल को ऐसा बोल सकते हैं। गहलोतजी, आप भूल रहे हैं कि प्रदेश की जनता ने मुख्यमंत्री की कुर्सी आपको अच्छे शासन के लिए सौंपी हैं, न कि गुंडागर्दी के लिए।

प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सीएम गहलोत राज्यपाल को धमकी की भाषा का उपयोग कर रहे है, जबकि राज्यपाल का पद संवैधानिक प्रमुख का है। वे खुद के कुनबे को संभाल नहीं पा रहे हैं। जबकि, कभी बीजेपी और तभी राजभवन पर अंगुली उठा रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ विधायक गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत जिस भाषा में राज्यपाल को चेतावनी दे रहे हैं, वह कतई शोभनीय नहीं है। एक मुख्यमंत्री से इस भाषा में बातचीत की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा था कि राज्यपाल अपनी अंतरात्मा की आवाज से फैसला लें…वरना राजभवन को घेरने जनता आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।