Modi and Jinping

एनएसजी में भारत की सदस्यता की राह में फिर रोड़ा बना चीन

नई दिल्ली, 22 मई (जनसमा)। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) यानी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की बैठक अगले माह स्विट्जरलैंड में हो सकती है। यह बैठक स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में होगी, जिसमें भारत की एंट्री से जुड़ी चर्चा भी शामिल है। चीन ने संकेत दिया है कि वह अगले महीने बर्न में होने वाले पूर्ण अधिवेशन में भारत की याचिका की राह में फिर से रोड़ा अटका सकता है। चीन ने सोमवार को कहा कि एनएसजी में सदस्यता के भारत के प्रयास को लेकर अपने पुराने रुख पर कायम है।

फाइल फोटो : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ।

दरअसल, भारत ने एनएसजी की सदस्यता के लिए पिछले साल मई में ही अप्लाई किया था, पर चीन के अडंगे के चलते भारत को एनएसजी की सदस्यता नहीं मिल पाई। इस बार की बैठक में भी चीन रोड़ा अटकाने को तैयार है, ऐसे में भारत अभी एनएसजी में सदस्यता पा जाएगा, इसमें रहस्य बना हुआ है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, “चीन ने एनएसजी में गैर-एनपीटी सदस्यों की भागीदारी को लेकर अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया है। हम 2016 के पूर्ण अधिवेशन के आदेश के बाद और द्वी-चरणीय दृष्टिकोण से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए खुली और पारदर्शी अंतर-सरकारी प्रक्रिया पर सहमति बनने के बाद एनएसजी समूह का समर्थन करते हैं।”

उल्लेखनीय है कि एनएसजी में शामिल देश न्यूक्लियर मटैरियल के एक्सपोर्ट, कलपुर्जे बनाने और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसी चीजों पर कंट्रोल रखते हैं। इसमें कुल 48 सदस्य हैं। चीन का कहना है कि भारत ने अभी परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इसलिए उसे एनएसजी में शामिल नहीं किया जा सकता। यही नहीं, चीन का कहना है कि अगर भारत को एनएसजी में शामिल करना है, तो पाकिस्तान को भी करना चाहिए। पाकिस्तान भी एनएसजी की मेंबरशिप के लिए अप्लाई कर चुका है।