Lok Sabha Speaker

सदन में दलीय विचारधारा से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में चर्चा करें

लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) ओम बिरला ने कहा कि सदन में दलीय विचारधारा से ऊपर उठकर राज्यहित और राष्ट्रहित में चर्चा करें।
किसी भी विधानसभा या लोकसभा में सदस्य अलग-अलग राजनीतिक दलों (Political Parties) और विचारधाराओं से चुनकर आते हैं। उन्हें सदन में उस विचारधारा पर बोलने का अधिकार है परन्तु अंततः सदन में दलीय विचारधारा से ऊपर उठकर राज्यहित और राष्ट्रहित में चर्चा होनी चाहिए।
यह विचार लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) ओम बिरला (Om Birla ) ने व्यक्त करते हुए कहा कि  सदन की मर्यादा और अनुशासन को बनाये रखना लोकसभा और विधानसभाओं के सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है।
लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) ओम बिरला  7 जुलाई,  रविवार को जयपुर में राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में पंद्रहवीं विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि पद से सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जनता ऎसे जनप्रतिनिधियों को पसंद करती है जो लोकसभा (Lok Sabha)या विधानसभा (Assembly) में अपने क्षेत्र की समस्याओं को मर्यादा और अच्छे संवाद के साथ सदन में प्रस्तुत करते हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा की पाठशाला से उन्हें जो स्वस्थ संसदीय परम्पराओं की सीख मिली है  उन नियम एवं परम्पराओं को लोकसभा में भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा।
लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) ने कहा कि लोकसभा या विधानसभा की कार्यवाही जितनी अधिक चलेगी, सरकार उतनी ही अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनेगी।
उन्होंने कहा कि जिस मंत्री को जितने अधिक प्रश्नों का उत्तर देने का अवसर मिलेगा, वह मंत्री अपने विभाग को उतना ही बेहतर तरीके से समझ पाएगा।
लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) ने कहा कि जिस प्रकार बजट पर गहनता से चर्चा होती है उसी प्रकार सदन में रखे जाने वाले बिलों पर भी समितियों में  विस्तार से चर्चा होनी चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) ने कहा सदन कभी भी पक्ष या प्रतिपक्ष का नहीं होता यह सभी सदस्यों का सदन है, इसलिए सदन की मर्यादा और अनुशासन को कायम रखना सभी सदस्यों की जिम्मेदारी होती है।
वहीं सदन का पीठासीन अधिकारी होने के नाते अध्यक्ष की यह जिम्मेदारी है कि वह पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों का संरक्षण करे और उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सदन में उठाने का अवसर दे।
उन्होंने कहा कि विधानसभा और लोकसभा के सदस्यों को सदन की कार्यवाही में अधिक से अधिक हिस्सा लेना चाहिए ताकि उन्हें प्रदेश और देश की समस्याओं एवं अभावों का पता चल सके।
उन्होंने कहा कि इस प्रबोधन कार्यक्रम से विधानसभा के सदस्यों और पूर्व सदस्यों को विधायी प्रक्रियाओं, नियमों और संसदीय कार्यप्रणाली को सीखने का बेहतर अवसर मिलेगा।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी (C P Joshi) ने कहा कि यह राजस्थान के लिए हर्ष का विषय है कि राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे बिरला अब देश के सर्वाेच्च सदन के पीठासीन अधिकारी है। अब लोकसभा में हो रहे सभी नवाचारों का राज्य को अधिकतम लाभ मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने इस अवसर पर कहा कि विधायक के रूप में हम सभी जनता के ट्रस्टी हैं। हर विधायक में यह भावना होनी चाहिए कि जनता के ट्रस्टी के रूप में हम सदन में गरीबों, पिछड़ों, आदिवासियों सहित हर वर्ग की समस्याओं को उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि सदन जनता की आवाज को बुलन्द करने का मंच है। सदन के नियमों, प्रक्रियाओं तथा परम्पराओं का विधायक जितना अध्ययन करेंगे उनका व्यक्तित्व और कृतित्व उतना ही निखरेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की विधानसभा का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। स्व. भैरोसिंह शेखावत, स्व. मोहनलाल सुखाड़िया, स्व. रामनिवास मिर्धा, स्व. नाथूराम मिर्धा, स्व. नवलकिशोर शर्मा, स्व. बलराम जाखड़, श्री जगन्नाथ पहाडिया, श्रीमती कमला बेनीवाल जैसे प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने देश की संसदीय प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देश के सर्वोच्च सदन में भी राजस्थान विधानसभा की नजीर दी जाती है।
उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker)  के रूप में सर्वसम्मति से चुने जाने पर ओम बिरला को बधाई देते हुए कहा कि हम सभी को इस बात का गर्व है कि वे राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में नए विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम की जो परम्परा शुरू हुई है, आशा है वह आगे भी जारी रहेगी। इससे युवा विधायकों को सदन की नियम-प्रक्रियाओं को जानने-समझने में आसानी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में पक्ष-प्रतिपक्ष के बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष  गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria)  ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष की उपस्थिति इस प्रबोधन कार्यकम में लोकतंत्र को सुदढ करने का सफलतम प्रयोग है।
उन्होेंने कहा कि विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को संसदीय प्रकिया एवं कार्य व्यवहार की जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए इस तरह का कार्यकम आयोजित किया गया है।
कटारिया ने कहा कि कानून बनाते समय दलगत राजनीति से उपर उठकर सभी की बात को स्वीकार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विधानसभा की समितियों को अधिक शक्तिशाली बनाया जाए जिससे विभागों में कार्य की जवाबदेही बढ़ेगी।
उद्घाटन सत्र के समापन से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने राजस्थान विधानसभा की नवीन वेबसाइट, एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर विधानसभा की मोबाइल एप्लीकेशन तथा विधानसभा सचिवालय के डैश बोर्ड ‘‘ग्रीन असेम्बली‘‘ का उद्घाटन किया।
उन्होंने पहली विधानसभा से नौंवी विधानसभा (1952 से 1998 तक) के डिजिटाइज्ड कार्यवाही वृत्तांतों को भी नवीन वेबसाइट पर लॉन्च किया।