गोवा में नशीली दवाएं बेचने वाले बढ़ गए हैं : मुख्यमंत्री

पणजी, 9 अगस्त | गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने मंगलवार को स्वीकार किया कि राज्य में नशे की दवा बेचने वालों की संख्या बढ़ गई है। मुख्यमंत्री ने यह बात तब कही, जब विधानसभा में सत्तारूढ़ पक्ष के ही एक विधायक ने आरोप लगाया कि गोवा में पुलिस अधिकारियों की सांठगांठ से ड्रग्स बिक रहे हैं। प्रश्नकाल के दौरान जब विधानसभा में कालांगुट क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक माइकल लोबो ने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या सरकार इस बात से वाकिफ है कि राज्य में खुदरा नशीली चीजें बेचने वालों की संख्या बढ़ गई है? मुख्यमंत्री ने इसका जवाब स्वीकारात्मक लहजे में दिया।

पारसेकर को भाजपा के एक अन्य विधायक कार्लोस अल्मेडिया ने घेरा, वास्को के इस विधायक ने आरोप लगाया कि गोवा पुलिस की ड्रग माफिया के साथ मिलीभगत है।

अल्मेडिया ने कहा, “शिक्षण संस्थानों में ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हैं और नशे की दवा बेचने वालों से पुलिस के घनिष्ठ संबंध बन गए हैं। सब कोई जानता है कि ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हैं। मैं उन शिक्षण संस्थानों का नाम नहीं ले रहा हूं लेकिन मैं जानता हूं कि ड्रग्स उपलब्ध हैं।”

पारसेकर ने कहा कि उन्हें शक है कि विदेशी नागरिक केवल गोवा में ठहरना सुनिश्चित करने के लिए अक्सर इस तरह छोटे अपराध करते हैं, ताकि जब तक लंबी न्यायिक प्रक्रिया समाप्त हो तब तक यहां रह सकें।

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पारसेकर ने कहा, मुझे संदेह है कि कुछ विदेशी जो गोवा में रहना चाहते हैं खुद को छोटे मामलों में फंसाकर गोवा में रुके रहने का इंतजाम कर लेते हैं। न्यायिक प्रक्रिया में आरोपी व्यक्ति को फैसला होने तक देश में रुके रहने की जरूरत पड़ती है।

संबंधित थानों के बीट कर्मचारी को निर्देश दिया गया है कि वे अपने कार्य क्षेत्र में पड़ने वाले अतिथिशालाओं और अन्य जगहों की जहां विदेशी नागरिक किराए पर रहते हैं, बार-बार जांच करें। उन्हें यह भी जांच करने को कहा गया है कि वैसे विदेशियों के पास भारत में ठहरने के लिए वैध वीजा और पासपोर्ट है या नहीं।

मुख्यमंत्री ने कहा, विदेशियों के कानूनी दस्तावेजों की जांच के लिए आकस्मिक जांच भी की जानी चाहिए।

गृहमंत्री ने चल रहे मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में जो आंकड़े पेश किए हैं। उनके अनुसार, वर्ष 2014 में मादक औषधि एवं नशीला पदार्थ कानून के तहत 54 मामले दर्ज किए गए, वर्ष 2015 में इस कानून के तहत 62 मामले और वर्ष 2016 में अब तक 21 मामले दर्ज किए गए हैं।

–आईएएनएस