अब बैंक से एक महीने में सिर्फ़ 5 हजार रुपए ही निकल सकेंगे

नई दिल्ली, 30 नवंबर (जस)। नोटबंदी के संबंध में सरकार द्वारा पहले ही इतने नियम बनाए और बदले जा चुके हैं कि अब लोगों को इन नियमों को याद रखना मुश्किल हो रहा है। दूसरी ओर इस माहौल में बैंक वाले भी अब अपने-अपने नियम जनता पर थोपने लगे हैं। कई बैंकों में तो 4-5 दिनों से कैश ही नहीं आ रहा है और जहां आ भी रहा है तो लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से दिया नहीं जा रहा है।

बुधवार को सरकार ने एक और नए नियम का ऐलान किया है जिसमें कहा गया है कि अब जन धन खातों से एक महीने में सिर्फ 5 हजार रुपए ही निकाले जा सकते हैं और जिनका ‘केवाईसी’ (नो योर कस्टमर) कम्प्लीट है वह 10 हजार रुपए निकाल सकते हैं।

इस नियम में एक सहूलियत यह दी गई है कि इमरर्जेंसी में अगर किसी को 10 हजार रुपए से अधिक की आवश्यकता है तो वह बैंक मैनेजर से मिलकर अपनी जरूरत बता कर अधिक रुपए की मांग कर सकते हैं।

बुधवार सुबह हमारे संवाददाता ने दिल्ली के मयूर विहार फेज़-1 की बैंक आॅफ बड़ौदा शाखा का दौरा किया जहां है जहां हमारे संवाददाता को एक महिला ने बताया कि उसकी बेटी की शादी 23 दिसंबर को है और वह अपने जमा रुपये निकालने के लिए प्रतिदिन लाइन में खड़ी होती है। लेकिन उसे जरूरत का रुपया नहीं मिल पा रहा है। महिला ने बताया कि 28 नवंबर को जब मैंने 24 हजार रुपए निकालने चाहे तो कैशियर ने सिर्फ 10 हजार रुपए ही दिए और कहा कि सभी को इतना-इतना ही दिया जा रहा है क्योंकि बैंक में ज्यादा कैश नहीं है।

वह महिला बुधवार को भी सुबह 6.15 बजे से लाइन में लगकर जैसे-तैसे कैश काउंटर तक पहुंची और कैशियर को अपनी बेटी की शादी का कार्ड तथा मैरिज हाॅल बुकिंग की रसीद दिखाकर 45 हजार रुपये मांगे लेकिन आज भी कैशियर ने उसे 10 हजार रुपए थमा दिए और कहा कि शादीकार्ड दिखाने वाला नियम बदल गया है और एसडीएम से लिखवाकर लाने पर ही जरूरत का पैसा मिलेगा। यह महिला दिल्ली में किराये के मकान में रहती है और इसे दिल्ली के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता। इस महिला की तरह दिल्ली में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके यहां शादी होने वाली है लेकिन उन्हें पैसा नहीं मिल पा रहा है।

कई लोगों ने बताया कि वे काम धंधा छोड़कर सुबह अंधेरे में ही लाइन में आकर लग जाते हैं क्योंकि पता नहीं कब बैंक वाले कह दें कि ‘कैश खत्म हो गया’ है।

अब 1 दिसंबर से लोगों को कैश के लिए और अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है खासकर जन-धन खाताधारकों को।

फाइल फोटो : आईएएनएस