राजस्थान कैबिनेट से अनुमोदित होगी ‘रोड सेक्टर पॉलिसी’

जयपुर, 1 मार्च। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अतिरिक्त प्रमुख सचिव डी.बी.गुप्ता ने कहा है कि राज्य में सड़क तंत्र को और बेहतर बनाने के लिए निर्माणाधीन ‘रोड सेक्टर पॉलिसी’ को राज्य केबीनेट से अनुमोदित कराया जाएगा ताकि इसकी कड़ाई से पालना सुनिश्चित की जा सके। साथ ही केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देश पर पीएमजीएसवाई द्वितीय योजना के लिए तैयार किए जा रहे डिस्टि्रक्ट रूरल रोड प्लान (डीआरआरपी) का दायरा बढाकर जिले में सभी प्रकार की ग्रामीण सड़कों को जीआईएस पर लिया जाना चाहिए ताकि सड़क निर्माण की योजना बनाने में आसानी हो।

गुप्ता बुधवार को होटल कंट्री इन में आयोजित ‘रोड सेक्टर स्टे्रटेजी’ वर्कशॉप की अध्यक्षता करते हुए सार्वजनिक निर्माण विभाग, परिवहन, आरएसआरडीसी, रिडकोर एवं अन्य हितधारक विभागाें के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आरआरएसएमपी परियोजना में ड्राफ्ट रोड सेक्टर पॉलिसी अगस्त 2016 में तैयार किए जाने के बाद अब इसके लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनाई जाने वाली विभिन्न स्टे्रटजी को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि रोड सेक्टर स्टे्रटेजी में भूमि अवाप्ति के नए प्रावधानों और इसमें लगने वाले समय के अनुसार वित्तीय भार की गणना, आरओबी जैसी परियोजनाओ की लागत,राज्य के पास कोर नेटवर्क के सुधार और संधारण के लिए वास्तविक वित्तीय व्यवस्थाओं की गणना जैसे पक्षों का ध्यान रखा जाना चाहिए। इसकी सफलता के लिए यह भी जरूरी है कि सड़क निर्माण से जुडे़, सानिवि एवं अन्य हितधारक विभागों में बेहतर समन्वय रहे। साथ ही जनसामान्य की शिकायतों के निस्तारण की भी व्यवस्था रहनी चाहिए।

गुप्ता ने कहा कि विभाग के पास बजट तो है लेकिन अभी बड़ा हिस्सा नॉन कोर सेक्टर में चला जाता है। इसलिए ‘रोड सेक्टर पॉलिसी’ के लिए स्टे्रटेजी तय करने के बाद इसे केबीनेट से भी अनुमोदित कराया जाएगा। श्री गुप्ता ने आईटी के उपयोग से डीआरआरपी को और अधिक मजबूत बनाए जाने की आवश्यकता एवं इरादा जताया ताकि योजना निर्माण वास्तविकता पर आधारित हो। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, यातायात श्री राजीव शर्मा ने ब्लैक स्पॉट और दुर्घटना संभाव्य क्षेत्रों के विषय पर कहा कि ऎसे स्थानों पर सड़क निर्माण करते समय स्थानीय लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

इसी प्रकार कोई बाइपास या हाईवे घोषित होते ही उनके दोनों ओर बेतरतीब व्यावसायिक उपयोग पर भी रोक लगनी चाहिए। उन्होंने एक ही रोड पर जगह-जगह बार-बार टोल लिए जाने के बजाय उतना ही टोल एक जगह संग्रह करने की आवश्यकता पर जोर दिया।  शर्मा ने एक्सीडेंट इन्फोर्मेशन सिस्टम की आवश्यकता बताते हुए कहा कि पुलिस विभाग में ऎसे एक सॉॅफ्टवेयर के लिए प्रयास किए जा रहे हैंं। मुख्य अभियंता एवं अतिरिक्त सचिव  शिवलहरी शर्मा ने कहा कि राज्य में रोड सेक्टर स्टे्रटेजी में जितने फण्ड की आवश्यकता बताई गई है, विभाग के पास लगभग उतना फण्ड उपलब्ध हो सकता है लेकिन नई कनेक्टिविटी के बजाय वर्तमान सड़क तंत्र के सुधार का एक नीतिगत निर्णय लिया जाकर उसे क्रियान्वित करना जरूरी है।

यदि विद्यमान सड़क तंत्र का समय पर नवीनीकरण हो और इसी के अनुरूप स्वीकृतियां जारी हों तभी इस पॉलिसी के लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने कन्सलटेंट द्वारा बताए गए वित्तीय आकलन को कम बताते हुए इसे अभी और व्यावहारिक किए जाने की आवश्कता जाहिर की।

कार्यशाला में कन्सल्टेंट फर्म इक्रॉय से प्रतिनिधियों ने रोड सेक्टर स्टे्रेटेजी का प्रस्तुतीकरण दिया जिस पर सानिवि एवं हितधारक विभागों के अधिकारियों ने इंटरेक्टिव सेशन में विचारों का आदान-प्रदान किया एवं सुझाव दिए। कार्यशाला में विभाग के शासन सचिव  माधोलाल मीणा भी उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन सानिवि के मुख्य अभियंता पीएमजीएसवाई सी.एल.वर्मा ने किया।