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उनके चेहरे रोशन हैं, 72 साल बाद बिजली जो पहुँची है उनके गाँव में

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अपने गाँव गोलापल्ली में लगे बिजली के खंभों को देखकर खुश होते ग्रामीण

उस गाँव के लोगों के चेहरे रोशनी की तरह चमक रहे हैं क्योंकि उनके गाँव में आज़ादी के 72 साल बाद अब बिजली (electricity) पहुँची है। उन्हें अंधेरे तथा डिबरी-चिमनी के धुएं से भी छुटकारा मिल गया।

यह गाँव हैं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सली इलाके (Naxalite area) में और नाम है गोलापल्ली। सुकमा जिले के घने जंगलों के बीच बसे गांव गोलापल्ली को तेलंगाना राज्य होते हुए रोशनी की नई सौगात दी गई है।

ग्रामीणों को बरसों से इस सौगात का इंतजार था। गोलापल्ली गांव के 184 घर बिजली (electricity)  की सौागात से जगमगा उठे हैं।

ज़िन्दगी के अँधेरों में रोशनी की तलाश करते-करते इन गाँव वालों को 72 साल लग गए, किन्तु अब उनके चेहरे पर मुस्कुराहट की रोशनी है।

दरअसल सुकमा जिले के जंगल के बीच बसे गांव गोलापल्ली के ग्रामीणों को बिजली (electricity)  का लम्बे समय से इंतजार था, मगर ग्रामीणों की यह इच्छा दुर्गम वनक्षेत्र और नक्सलियों के विरोध के कारण पूरी नही हो पा रही थी।

क्षेत्रीय विधायक और उद्योग मंत्री कवासी लखमा गोलापल्ली इलाके मे बिजली (electricity) पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत थे।

यहां घने जंगल और दुर्गम रास्तों के कारण छत्तीसगढ़ की बिजली (electricity)  पहुंचना संभव नहीं था। इस स्थिति को देखते हुए गोलापल्ली क्षेत्र में तेलंगाना राज्य के रास्ते बिजली (electricity)  पहुंचाने का भागीरथ प्रयास किया गया।

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने गोलापल्ली गांव की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इस इलाके में पड़ोसी राज्य तेलंगाना के रास्ते बिजली (electricity)  पहुंचाने के लिए विशेष रुचि लेते हुए इसकी मंजूरी दी।

नार्दर्न पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी ऑफ तेलंगाना के पर्णशाला स्थित नालापल्ली फीडर से फैदागुड़ा से टैपिंग के माध्यम से रायगुड़ा-तारलागुड़ा होते हुए गोलापल्ली तक बिजली (electricity)  पहुंचाई गई।

गोलापल्ली इलाके में बिजली (electricity)  पहुंचाने के लिए लगभग 21.7 किलोमीटर 11 के.व्ही. लाइन और 17.3 किलोमीटर एलटी लाइन बिछाई गई है।

इस दुर्गम क्षेत्र में बिजली (electricity)  पहुंचाने में एक दूसरी बड़ी चुनौती नक्सलियों द्वारा विरोध भी था। नक्सली इस क्षेत्र में विद्युतीकरण के पक्ष में नहीं थे।

विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का हौसला भी कम नहीं था और ग्रामीणों के साथ मिलकर इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि महज चार माह के भीतर गांव तक बिजली पहुंचाने में सफलता भी हासिल की।

इसका नतीजा है कि इस गांव के 184 गरीब परिवार के घर अब बिजली की रोशनी से जगमगा रहे हैं।

उन्हें अंधेरे तथा डिबरी-चिमनी के धुएं से भी छुटकारा मिल गया है। अब यहां के स्कूल और आंगनबाड़ी समेत शासकीय कार्यालयों में भी विद्युतीकरण किया जा रहा है।

गोलापल्ली में हुए विद्युतीकरण से सभी ग्रामीण बहुत खुश हैं और इसके लिए मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल और उद्योग मंत्री कवासी लखमा के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया है।

गोलापल्ली क्षेत्र में विद्युतीकरण कार्य को पूरा कराने में जिला प्रशासन की सजगता एवं तत्परता सराहनीय रही है।