‘छत्तीसगढ़ में पत्रकारों को परेशान न करें’

न्यूयॉर्क, 18 अप्रैल | अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन, ह्यूमन राइट्स वॉच ने सोमवार को कहा कि भारत सरकार को उन आरोपों की जांच करनी चाहिए, जिसके मुताबिक छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्रों में न्यूज रपट तैयार करने वालों का उत्पीड़न किया जा रहा है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मार्च में कहा था कि छत्तीसगढ़ में पत्रकार नक्सलियों, अधिकारियों व नागरिक सुरक्षा समूहों के बेहद दबावयुक्त माहौल में काम कर रहे हैं।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में अधिकारियों को पत्रकारों के खिलाफ निराधार मुकदमें समाप्त करने चाहिए तथा पत्रकारों और कार्यकर्ताओं व मानवाधिकार संरक्षकों के अधिकारों का हनन बंद करना चाहिए।

संगठन के मुताबिक, “अधिकारियों को आम लोगों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए तथा अधिकारों का हनन रोकने के लिए पत्रकारों को धमकाना व उन पर मुकदमेबाजी बंद करनी चाहिए।”

संगठन ने कहा, “पत्रकारों व अधिकार कार्यकर्ताओं के खामोश रहने से नक्सलियों व सरकारी सुरक्षा बलों द्वारा दुर्व्यवहार और आसान हो जाएगा।”

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार की आलोचना के कारण चार पत्रकारों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं।

इनमें ‘दैनिक दैनंदिनी’ समाचार पत्र के दीपक जायसवाल, हिंदी समाचार पत्र ‘पत्रिका’ के प्रभात सिंह, एक हिंदी समाचार पत्र के संतोष यादव तथा आदिवासी समुदाय के एक समाचार पत्र के पत्रकार सोमारू नाग शामिल हैं।(आईएएनएस)