भाषाओं

विश्व भारती और शांति निकेतन भारतीय भाषाओं के सामंजस्य का केंद्र

कोलकाता, 20 दिसंबर। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि गुरुदेव टैगोर ने विश्व भारती और शांति निकेतन के माध्यम से जहाँ एक ओर तो भारतीय साहित्य, भाषा, दर्शन और कला का संरक्षण व संवर्धन किया, वहीं दूसरी ओर विश्व भारती एवं शांति निकेतन को दुनिया भर के कई देशों की भाषाओं को, साहित्य को और संस्कृति को भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं के साथ सामंजस्य का केंद्र बनाया।

उन्होंने कहा कि यहाँ ग्रामोत्थान, स्वास्थ्य, सफाई, सहकारिता और कृषि क्षेत्रों को भी अर्थ जगत के साथ जोड़ने का काम शांति निकेतन के माध्यम से गुरुदेव टैगोर ने किया।

केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने आज अपने पश्चिम बंगाल प्रवास के दूसरे और अंतिम दिन सबसे पहले विश्व भारती यूनिवर्सिटी, शांति निकेतन के रबीन्द्र भवन में गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात् उनकी उपस्थिति में रबीन्द्र भवन में कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया।

विश्व भारती यूनिवर्सिटी में गीत-संगीत और नृत्य के मिले जुले इस कार्यक्रम की प्रस्तुति बेहद शानदार रही। इसके पश्चात् उन्होंने मीडिया को भी संबोधित किया।

मीडिया को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि शायद दुनिया में गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के रूप में एक ही ऐसा व्यक्तित्व हुआ जिनकी रची रचनाएं दो राष्ट्रों का राष्ट्रगान है।

उन्होंने कहा कि गुरुदेव को जब नोबेल पुरस्कार मिला तो मैंने किसी का वक्तव्य पढ़ा कि गुरुदेव के ज्ञान को, उनके साहित्य को एवं उनकी कविता को नोबेल पुरस्कार ने स्वीकार किया है। लेकिन मैं हृदय की गहराइयों से यह मानता हूँ कि नोबेल पुरस्कार ने गुरुदेव की कविता को पुरस्कृत कर उसे अनुमोदित नहीं किया बल्कि गुरुदेव को सम्मानित करके नोबेल पुरस्कार ने अपने आप को प्रासंगिक बनाया है, स्वीकार किया है।

अमित शाह ने कहा कि गुरुदेव की यही विरासत, गुरुदेव का यही विचार है जो बताता है कि शिक्षा का उद्देश्य संकीर्णता की सभी बेड़ियों को तोड़ना भी हो सकता है, यथार्थ को सबसे अच्छे तरीके से जानना हो सकता है।

“जब इस महान संस्था के 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, तब वही उद्देश्य यहाँ से मजबूती से न केवल देश बल्कि विश्व भर में जाए और गुरुदेव के विचारों के आधार पर भारतीयता को, भारत के दर्शन को, ज्ञान को, साहित्य को और कला को एक वैश्विक स्वीकृति मिले। यह हम सब की अभिलाषा है।”

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज मैंने, गुरुदेव जहां रहते थे, वहां भी कुछ समय बिताया और महात्मा गाँधी जी जहां रहे थे, वहां भी थोड़ा समय बिताया। ऐसे महान व्यक्तित्व पूज्य गुरुदेव टैगोर को आज मुझे श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला, इसके लिए मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूँ।