Restoration of the neglected mausoleum of Chakravarti king Dasharatha

उपेक्षित पड़ी चक्रवर्ती राजा दशरथ की समाधि स्थल का कायाकल्प

अयोध्या, 11 जनवरी । बिल्वहरि घाट के समीप चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ की समाधि स्थली व भव्य मंदिर है। मान्यता यह भी है कि इस समाधि स्थल पर पूजन-अर्चन करने वाले साधकों को शनि की साढ़ेसाती जैसी महादशा के प्रकोप से छुटकारा मिल जाता है।

सरकार ने अयोध्या के साथ ही इस स्थल के जीर्णोद्धार का मार्ग प्रशस्त हो गया। राम जन्मभूमि से लगभग 15 किमी. दूर इस स्थान का प्रथम चरण में सुदृढ़ीकरण व सौंदर्यीकरण कराया गया है। द्वितीय चरण में भी योगी सरकार यहां विकास के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

दशरथ कृत शनि स्तोत्र

समाधि स्थली
पद्मपुराण में भी दशरथ समाधि स्थल के आध्यात्मिक महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है कि जो भी मनुष्य एक बार यहां आकर दर्शन करके दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ व स्मरण करता है उसे शनिजन्य कष्टों से मुक्ति मिलती है। यहां विद्यमान कर्मफल दाता शनिदेव का एक विलक्षण विग्रह भी विद्यमान है। इसके दर्शन मात्र से ही साढ़ेसाती, ढैय्या समेत सभी प्रकार के शनिजन्य कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। यह भी दावा किया जाता है कि एक बार जो यहां आकर शनिदेव के इस अनोखे विग्रह का दर्शन कर राजा दशरथ द्वारा कृत शनि स्तोत्र का स्मरण-पठन करता है उसे जीवनपर्यंत शनि की शुभ दृष्टि व कृपा प्राप्त होती है।

समाधि स्थल के उत्तराधिकारी संदीप दास जी महराज के मुताबिक यहां चारों भाइयों की चरण पादुका, पिंड वेदी, गुरु वशिष्ठ का चरण चिह्न, प्राचीन ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं, जिसमें आज तक जंग तक नहीं लगी। यहां दशरथ जी, भरत व शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ की प्रतिमा विद्यमान है। उन्होंने बताया कि भरत ने राजा दशरथ के निधन के उपरांत पूछा कि यहां सबसे पवित्र स्थल कौन है, जहां दशरथ जी का दाह संस्कार हो सके, तब गुरु वशिष्ठ के नेतृत्व में इस जगह का चयन किया गया।

विध आयोजन
अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मद्देनजर इस स्थली पर भी सरकार अनेक आयोजन भी कराएगी।  रामलीला, भजन-संकीर्तन, विशिष्ट कलाकारों की तरफ से अनेक अनुष्ठान आदि का कार्यक्रम होगा। इसके लिए संस्कृति व पर्यटन विभाग के अधिकारी खाका तैयार कर रहे हैं।

दशरथ समाधि स्थल तक जाने के लिए सड़क के 24 मीटर चौड़ीकरण की योजना है।  दशरथ समाधि स्थल के महत्व को देखते हुए पहले चरण में यहां मंदिर का सुंदरीकरण किया गया है।

यहां लगभग 200 से 250 सत्संगी एक साथ भजन के आनंद सागर में डुबकी लगा सकते हैं।

सोलर पैनल के जरिए विद्युत निर्माण, पारंपरिक ऊर्जा निर्भरता में हुई कटौतीः अयोध्या को सोलर सिटी बनाने के क्रम में यहां भी सोलर पैनल के जरिए विद्युत निर्माण को सुनिश्चित किया गया है। इसके जरिए पारंपरिक ऊर्जा निर्भरता को कम करने में मदद मिली है।